तालिबान राज में नहीं उठाए गए महिला शिक्षा के लिए कारगर कदम

काबुल । अफगानिस्तान (women’s education) में तालिबान राज के एक साल बाद भी महिलाओं की शिक्षा (women’s education) के लिए कारगर कदम नहीं उठाए गए हैं। ऐसे में अफगान महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने एक लाइब्रेरी की शुरुआत की है। इनमें पुरुष के साथ महिला स्टूडेंट्स भी थी। लेकिन काबुल छोड़ने की अनुमति केवल पुरुषों को दी गई।
तालिबान ने आदेश जारी किया है कि अफगान महिलाएं शिक्षा के लिए देश को छोड़ कर नहीं जा सकती हैं। इसका उद्देश्य शिक्षा और अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित महिलाओं को वापस शिक्षा की ओर लाना है। पहला जो लड़कियां स्कूल- कॉलेज नहीं जा सकती उनके लिए, दूसरा उन महिलाओं के लिए जिन्होंने अपनी नौकरी खो दी है।
लाइब्रेरी में 1000 से ज्यादा किताबें हैं। इनमें राजनीति, विज्ञान और अर्थशास्त्र के अलावा कहानियों की किताबें और उपन्यास भी शामिल हैं। तालिबान ने नियम बनाया है कि महिलाओं को किसी पुरुष रिश्तेदार के बिना घर नहीं छोड़ना चाहिए। साथ ही अपने चेहरे को ढंकना चाहिए।
तालिबान लड़कियों के लिए माध्यमिक स्कूल खोलने के अपने वादे से भी मुकर गया। जिसके बाद लड़कियों के लिए माध्यमिक स्कूल बड़े पैमाने पर बंद हैं। लाइब्रेरी में ज्यादातर किताबें शिक्षकों, कवियों और लेखकों की ओर से आई हैं। उन्होंने ये किताबें क्रिस्टल बायत फाउंडेशन को दान की। इस फाउंडेशन ने लाइब्रेरी शुरू करने में मदद की। वहीं पिछले कुछ महीनों में विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाली कई महिला कार्यकर्ताओं ने भी इसमें मदद की। इसके बाद मॉल में एक किराए की दुकान में लाइब्रेरी शुरू की जा सकी।