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दुनिया की पहली हाइड्रोजन ट्रेन ने दौड़ लगाई !

देश-दुनिया में वाहनों को चलाने के लिए नए तरह के पॉवरट्रेन खोजे जा रहे हैं. इनमें से इलेक्ट्रिक वाहन तो कुछ देशों में चल भी रहे हैं. इसके अलावा बायो फ्यूल, हाइड्रोजन फ्यूल आदि को भी एक विकल्प के तौर पर सफल बनाने का प्रयास कंपनियां कर रही हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर बड़ी समस्या ये है कि ईवी को चार्ज करने के लिए भी चाहिए तो बिजली ही और ये बिजली अभी भी कोयले आदि से ही बन रही है. सोलर एनर्जी से अभी उस लेवल की बिजली नहीं तैयार हो रही है जितनी की खपत है. ऐसे में हाइड्रोजन को एक बेहतर विकल्प बताया जा रहा है. इस बीच जर्मनी ने दुनिया की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन को लॉन्च कर दिया है.

हाइड्रोजन फ्यूल
हाइड्रोजन फ्यूल

ज्यादा सकारात्मक रुख अपना रही है जर्मनी  सरकार

जर्मनी में 1-2 नहीं बल्कि हाइड्रोजन से चलने वाली 14 ट्रेनें लॉन्च की गई हैं. ये ट्रेन जर्मनी के लोअर सैक्सोनी राज्य में लॉन्च की गई हैं. लोगों का कहना है कि जर्मनी की सरकार पर्यावरण के प्रति काफी ज्यादा सकारात्मक रुख अपना रही है.

इन ट्रेनों को फ्रांस की कंपनी एल्सटॉम ने तैयार किया है. आने वाले दिनों में ये हाइड्रोजन ट्रेन डीजल ट्रेनों की जगह ले लेंगी. एल्स्टॉम के उएड हेनरी पॉपार्ट-लाफार्ज ने कहा कि 1 किलो हाइड्रोजन लगभग 4.5 किलो डीजल के समान है.

रिपोर्ट के मुताबिक ये हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली इन ट्रेनों से किसी भी तरह का प्रदूषण नहीं होगा. एमिशन के रूप में ये सिर्फ स्टीम और वाष्पित पानी ही छोड़ेंगी. इससे हर साल 4,400 टन कॉर्बन डाई ऑक्साइड (उड2) को वायुमंडल में छोड़ने से रोकेगा.

ये हाइड्रोजन ट्रेनें एक टैंक से करीब 1000 किलोमीटर का सफर तय कर सकती हैं. इनकी टॉप स्पीड 140 किमी/घंटा है. ट्रेन के रूट पर एक हाइड्रोजन फिलिंग स्टेशन भी लगाया गया है.जिस तरह से अभी हाइड्रोजन कारों का कई साल टेस्टिंग जारी है उसी तरह साल 2018 से इसकी भी टेस्टिंग जारी थी.

एक रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से कई तरह के प्रतिबंध लगने से काफी तनावपूर्ण स्थिति बन गई है ऐसे में रेल परिवहन में हाइड्रोजन गैस का उत्पादन चुनौतीपूर्ण है. इसलिए कंपनी को ये तय करना है कि हाइड्रोजन या बैटरी से चलने वाली ट्रेनों का संचालन किया जाना है या नहीं.

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