लखनऊ. जन सूचना अधिकार अधिनियम (2005) के तहत सूचना आयुक्तों और उनकी कार्यप्रणाली से आरटीआई एक्ट में समस्याएं आ रही थीं। इसे लेकर शनिवार को राजधानी में एक सामाजिक संस्था ऐश्वर्याज सेवा संस्थान ने खराब सूचना आयुक्त ढूंढने का काम शुरू कर दिया है। इसके लिए हजरतगंज स्थित जीपीओ पर महात्मा गांधी पार्क में सर्वे भी कराए जा रहे हैं। यह सर्वे 11 बजे से लेकर शाम चार बजे तक चलेगा।
इस सर्वे के दौरान मौके पर दिल्ली की सामाजिक संस्था कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सी.एच.आर.आई) के सौजन्य से आरटीआई मार्गदर्शिका का निःशुल्क वितरण भी किया जाएगा। कार्यक्रम की आयोजिका उर्वशी शर्मा के मुताबिक वर्तमान मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा 9 सूचना आयुक्त की नियुक्ति आरटीआई के माध्यम से लोगों को सूचना उपलब्ध कराने के लिए तैनाती की गई है।
आखिर क्यों संस्था करा रही है सर्वे
उर्वशी शर्मा के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में यूपी के सूचना आयुक्तों द्वारा सुनवाइयों के दौरान आरटीआई प्रयोगकर्ताओं के उत्पीड़न की घटनाओं में बढ़ोतरी वृद्धि हुई है। वर्तमान सूचना आयुक्तों में से कुछ ने अपने पद ग्रहण के समय ली गई शपथ के अगेंस्ट पारदर्शिता विरोधी माइंडसेट के तहत आरटीआई एक्ट को कमजोर का काम किया है। ऐसे अफसरों को पद पर बने रहने का कोई भी कानूनी और नैतिक अधिकार नहीं है।
उर्वशी ने बताया कि बीते 11 अप्रैल को आरटीआई कार्यकर्ता आरटीआई भवन के सामने मुख्य सूचना आयुक्त सहित 9 सूचना आयुक्तों का पुतला दहन कर अपना रोष जता चुके हैं। इसलिए उनके संगठन द्वारा यह खुला सर्वे पारदर्शी रीति से कराया जा रहा है।
सर्वे की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए उनके संगठन ने राज्यपाल, प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रमुख सचिव, मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी और सूचना आयोग के सचिव को पत्र लिखकर अपने प्रतिनिधि भेजने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि सर्वे के आधार पर आरटीआई एक्ट के इम्प्लीमेंटेशन में आ रही समस्याओं का पता लगाकर यूपी के सीएम के माध्यम से उसके समाधान के प्रयास किए जाएंगे।
इन सुचना आयुक्त के पास है सूचना दिलाने की जिम्मेदारी
मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी के अलावा 9 सूचना आयुक्तों की तैनाती जनता को सूचना उपलब्ध कराने के लिए की गई है। इनमें अरविन्द सिंह बिष्ट, गजेन्द्र यादव, खदीजतुल कुबरा, पारस नाथ गुप्ता, हाफिज उस्मान, राजकेश्वर सिंह, विजय शंकर शर्मा, स्वदेश कुमार और हैदर अब्बास रिजवी शामिल हैं।