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विदेशी छात्रों के लिए भारत में 25 प्रतिशत अतिरिक्त सीटें, नहीं देनी होगी एंट्रेंस टेस्ट

नई दिल्ली : विदेशी छात्रों के लिए भारत के शिक्षण संस्थानों में 25 प्रतिशत अतिरिक्त सीटें सृजित की जा रही हैं। खास बात यह है कि इन विदेशी छात्रों को एंट्रेंस टेस्ट की प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा। उन सभी छात्रों को विदेशी माना जाएगा जिनके पास विदेशी पासपोर्ट है। ऐसे में जो भारतीय विदेशी पासपोर्ट के साथ विदेशों में रह रहे हैं वह भी बिना एंट्रेंस टेस्ट भारत के प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिला ले सकेंगे। विदेशी छात्रों के लिए दाखिले की एक तय प्रक्रिया बनाई जा रही है जो पूरी तरह से पारदर्शी होगी। इसके साथ ही विदेशी छात्रों के हितों का ध्यान रखते हुए उच्च शिक्षा संस्थानों को अपने संस्थानों में ‘अंतर्राष्ट्रीय मामलों का कार्यालय’ बनाना होगा।

विदेशी छात्रों को भारतीय शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए न केवल शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी बड़ी पहल कर रहे हैं बल्कि एफआरआरओ और वीजा के क्षेत्र में भी इन छात्रों को व्यापक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। एफआरआरओ या ई-एफआरआरओ के साथ विदेशी छात्रों के पंजीकरण के लिए एकल बिंदु संपर्क स्थापित किए जा रहे हैं।

दरअसल देशभर के उच्च शिक्षण संस्थान अब अपने विश्वविद्यालयों में 25 प्रतिशत अतिरिक्त सीटों का सृजन कर सकेंगे। यूजीसी ने इसके लिए देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वीकृति प्रदान की है। यूजीसी ने 18 अगस्त को अपनी 560वीं बैठक में भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों में अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम्स में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के प्रवेश और सुपरन्यूमेरी सीटों के लिए दिशानिर्देश के साथ यह मंजूरी दी है।

उच्च शिक्षण संस्थानों को विदेशी छात्रों के लिए सीट बढ़ाने की मंजूरी का मूल उद्देश्य भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के सहज और सरल प्रवेश की सुविधा, भारतीय उच्च शिक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने के लिए अनुकूल वातावरण प्रणाली बनाना और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए भारत को एक पसंदीदा गंतव्य बनाना है।

यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में एक पारदर्शी प्रवेश प्रक्रिया के जरिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति दी जाएगी। यह एक वैसी ही प्रक्रिया होगी जैसी कि विदेशी विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाई जा रही है।

यूजीसी चेयरमैन के मुताबिक सभी उच्च शिक्षा संस्थानों का एक ‘अंतर्राष्ट्रीय मामलों का कार्यालय’ होगा। यह कार्यालय विभिन्न गतिविधियां करने के लिए जिम्मेदार होगा। इसमें विदेशी छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया से संबंधित जानकारी का प्रसार, विदेशी छात्रों से संबंधित सभी मामलों का समन्वय, विदेश में ब्रांड निर्माण अभियान, विभिन्न मामलों में विदेशी छात्रों की शिकायतों को दूर करना, साथी छात्रों के साथ नेटवकिर्ंग की सुविधा, विदेशी छात्रों को नए सांस्कृतिक वातावरण के अनुकूल बनाने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करना और भारत में उनका आरामदायक और समृद्ध प्रवास शामिल होगा।

यूजीसी के अध्यक्ष ने  कहा, उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का एक अनिवार्य पहलू है। अंतरराष्ट्रीय छात्रों, शिक्षाविदों और वित्त पोषण को आकर्षित करने के अवसर बढ़ रहे हैं और कई भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान (एचईआई) अब अपनी अंतरराष्ट्रीय पहुंच बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के अंतर्राष्ट्रीयकरण की सुविधा के लिए, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए प्रवेश और अतिरिक्त सीटों के निर्माण के लिए दिशानिर्देश तैयार किए हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली के लिए एक नई और दूरंदेशी ²ष्टि की परिकल्पना की गई है। यह एक्सेस, इक्विटी, मल्टीडिसिप्लिनरिटी, समग्र और मूल्य-आधारित शिक्षा जैसे प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर वर्तमान शिक्षा प्रणाली के अत्यधिक आवश्यक परिवर्तन और ओवरहाल की नींव रखता है।

यूजीसी के मुताबिक भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली दुनिया की सबसे बड़ी प्रणालियों में से एक है और इस तरह की एक विशाल प्रणाली के परिवर्तन के लिए नेतृत्व, वित्त पोषण, शिक्षा वितरण की गुणवत्ता, जवाबदेही, प्रबंधन, शिक्षण और शिक्षा के क्षेत्रों सहित सभी उच्च शिक्षा क्षेत्रों के लिए प्रणाली या प्रक्रियाओं को बदलने की आवश्यकता है।

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