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ब्रज में अर्थव्यवस्था की धुरी है, सावन भादों की कमाई

मथुरा। ब्रज में कहावत है सावन भादों की कमाई साल भर खाई। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार कान्हा की नगरी में रौनक है। पिछली बार भी बहुत कुछ अच्छा था, इससे पहले के दो साल ऐसे गुजरे थे जिन्हें कोई याद नहीं रखना चाहेगा। कान्हा की नगरी में सन्नाटा पसरा हुआ था। न सिर्फ श्रद्धालु नदारद थे, आर्थिक गतिविधियां भी ठप पड़ी रही थीं। लोगों के चेहरों पर तनाव साफ देखा जा सकता था। कोरोना ने धार्मिक पर्यटन से जुड़े लाखों लोगों का रोजगार छीन लिया था। श्रद्धालुओं के न आने से होटल व्यवसायी मायूस हो गए थे।

कान्हा की पोशाक तैयार करने में जुटे रहने वाले कामगारों के हाथों को काम नहीं मिला था। मूर्तिकार बेकार बैठे रहे। आटो, टैक्सी, ई-रिक्शा चालक परेशान थे। इस बार हर किसी के चेहरे पर खुशी साफ देखी जा सकती है। व्यापारी नेता अजय अग्रवाल कहते हैं, शायद 5200 वर्ष के इतिहास में यह पहला मौका ही रहा होगा जब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इतना सन्नाटा पसर गया था।

हो सकता है इतिहास में कभी कुछ ऐसा हुआ हो लेकिन ज्ञात इतिहास में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिलता है। यह पहली बार था जब देश विदेश से प्रतिवर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर आने वाले लाखों श्रद्धालु मथुरा नहीं आए थे। प्रशासन ने मंदिरों में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी थी।

बुजुर्ग व्यापारी बताते हैं एक समय वह था जब कहा जाता था कि सावन की कमाई साल भर खाई यह कहावत जन्माष्टमी पर होने वाली व्यापारियों, मजदूरों, वाहन चालकों, होटल, धर्मशाला, गेस्ट हाउस मालिकों इन में लगे कर्मचारियों को मिलने वाले व्यापार और कार्य को लेकर बनी है। मूर्ति, पूजा के सामान का कारोबार हो अथवा रामनामी दुपट्टा, मुकुट, पोशाक, श्रंगार, धार्मिक तस्वीरें कंठी माला, बच्चों के कुर्ता धोती इत्यादि बहुत सारी चीज हैं जिनकेे कारोबारी जन्माष्टमी का पर आने वाले श्रद्धालुओं का इंतजार प्रतिवर्ष करते हैं।

प्रतिवर्ष 20 लाख से अधिक श्रद्धालु जन्माष्टमी पर मथुरा आते हैं। टेक्सी मालिक, ई रिक्शा, टेंपो चालक, टैक्सी चालक और विभिन्न प्रकार के निजी वाहन चालक जिनकी संख्या लगभग 5000 रहती है इनके द्वारा ब्रज के विभिन्न तीर्थ क्षेत्रों में श्रद्धालुओं को भ्रमण कराने से मथुरा जिले के साथ ही बृज चैरासी कोस के अंदर श्रद्धालुओं से व्यापार प्राप्त होता है। मथुरा जिले में होटल, धर्मशाला, आश्रम, गेस्ट हाउस छोटे बड़े मिलाकर जिनकी संख्या लगभग 8 से 10 हजार बैठती है।

मथुरा वृन्दावन होटल ऑनर्स एसोसिएशन के महामंत्री अमित जैन बताते हैं कि 12 से 15 करोड़ का व्यापार होटल धर्मशाला वालों को जन्माष्टमी पर प्रतिवर्ष आने वाले श्रद्धालुओं से हो जाता है। मूर्ति व्यवसायी आशीष बब्बू के अनुसार धातु की मूर्तियों का बड़ा कारोबार जन्माष्टमी पर रहता है। लगभग मथुरा जिले के तीन हजार लोग इस कारोबार से जुड़े हुए है। पोशाक व्यवसायी मनोज कुमार ने बताया 800 व्यापारी ओर पांच हजार कर्मचारियों को मिलने वाला रोजगार छिन गया था।

कुल मिलाकर एक अनुमान के अनुसार 200 से 225 करोड़ का कारोबार बृज चैरासी कोस में सावन भादों के महीने में हो ता रहा है क्योंकि श्री कृष्णजन्म अष्टमी पर आने वाले श्रद्धालु श्री राधा अष्टमी का उत्सव बरसाने में करने के बाद ही विदा लेते रहे है। अगर दूसरे रूप में देखा जाए तो स्टेशन पर कुलियों और स्टालों से लेकर बस स्टैंडों पर उमडने वाले श्रद्धालुओं के सैलाब से लगभग पांच लाख लोगों को रोजगार मिलता है।

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