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श्रीकृष्ण को दी जाती है 21 तोपों की सलामी !

दिल्ली से इस मंदिर की दूरी करीब 600 किलोमीटर है. राजस्थान के नाथद्वारा में स्थापित भगवान श्रीनाथ जी मंदिर कई चमत्कारों के लिए जाना जाता है. इस बार आप श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर एक ऐसे मंदिर की सैर कर सकते हैं, जहां भगवान श्रीकृष्ण को 21 तोपों की सलामी दी जाती है और चावल के दानों पर श्रद्धालुओं को श्रीनाथ के दर्शन होते हैं. यह 400 साल से भी ज्यादा पुराना कृष्ण मंदिर राजस्थान में स्थित है. इस मंदिर का नाम श्रीनाथजी मंदिर  है.19 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी  के मौके पर आप अपने परिवार के साथ भारत के इस सबसे अनोखे मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए जा सकते हैं. मान्यता है कि यहां जाने वाले श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है. आइये इस मंदिर के बारे में विस्तार से जानते हैं और यह भी जानते हैं कि यह कहां स्थित है.

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राजस्थान में स्थित है यह 400 साल पुराना मंदिर

यह 400 साल से भी ज्यादा पुराना कृष्ण मंदिर राजस्थान में स्थित है. इस मंदिर का नाम श्रीनाथजी मंदिर है. दिल्ली से इस मंदिर की दूरी करीब 600 किलोमीटर है. राजस्थान के नाथद्वारा में स्थापित भगवान श्रीनाथ जी मंदिर कई चमत्कारों के लिए जाना जाता है. श्रीनाथ जी स्वयं श्रीकृष्ण के अवतार हैं. ऐसा कहा जाता है कि जब वे 7 साल के थे तब से यहां विराजमान हैं. इस मंदिर में मौजूद श्रीकृष्ण की काले रंग की मूर्ति को एक ही पत्थर से बनाया गया है. यहां जन्माष्टमी की रात 12 बजे श्रीकृष्ण को 21 तोपों की सलामी दी जाती है. जिसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.

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चावल के दानों में होते हैं भक्तों को श्रीनाथ के दर्शन

यहां भक्तों को भगवान श्रीनाथ के दर्शन चावल के दानों में होते हैं. जिस वजह से इस मंदिर में कान्हा के दर्शन करने के लिए पहुंचने वाले भक्त अपने साथ चावल के दाने लेकर जाते हैं. इस मंदिर में मौजूद भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति में हीरे जड़े हुए हैं. यहां से चावल के दानों को वापस लाने के बाद श्रद्धालु अपनी तिजोरी में रखते हैं ताकि उनके धन-संपदा में वृद्धि हो.

यहां मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ी लीलाओं को झांकियों के जरिए जन्माष्टमी के दिन प्रदर्शित किया जाएगा.

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इस मंदिर पर हमला नहीं कर पाया था नादिर शाह

इस मंदिर की ऐसी महिला है कि यहां नादिर शाह भी हमला नहीं कर पाया था. 16 फरवरी 1739 में नादिर शाह ने श्रीनाथ मंदिर पर हमला किया था. वह हीरे और मंदिर के बाकी खजाने को लूटना चाहता था. ऐसा कहा जाता है कि जब नादिर शाह मंदिर में खजाना लूटने के आया तो वहां बैठे एक फकीर ने उसे चेतावनी दी कि वह ऐसा न करें.                                                                                                                                                                                                                                     लेकिन नादिर शाह नहीं माना और मंदिर के भीतर कदम रखते ही उसकी आंखों की रोशनी चली गई. बाद में मंदिर से वापस आने के बाद उसकी आंखों की रोशनी लौटी.

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