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EXPOSE: जानें DM ने क्‍यों नहीं दी ट्रांसप्‍लांट की इजाजत, जिस महिला ने बचाई 3 की जिंदगी

लखनऊ. बुधवार को ग्रीन कॉरीडोर बनाकर जिस ब्रेन डेड महि‍ला के लीवर को मात्र डेढ़ घंटे में लखनऊ से दिल्‍ली पहुंचाया गया, उसकी जीवन को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। खास बात ये है कि महिला के ऑर्गन से 3 लोगों की नई जिंदगी मिल चुकी है, लेकिन उसे खुद का जीवन बचाने के लिए कानपुर देहात के डीएम ने परमीशन नहीं दी। ये तब, जब अपनी बहन की जिंदगी बचाने के लिए डॉक्‍टर भाई ने लीवर डोनेट करने के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली थी। परिवार का आरोप, डीएम ने कहा- पैसे का हुआ है ट्रांजेक्‍शन
ब्रेन डेड महिला के परिजनों का आरोप है कि औपचारि‍कताओं को पूरा करने के बाद जब फाइल डीएम कुमार रविकांत सिंह के पास पहुंची तो उन्‍होंने यह कह कर अनुमति‍ देने से इनकार कर दि‍या कि‍ इसमें पैसे का ट्रांजेक्‍शन हुआ है। खुद डोनर ने डीएम के सामने महि‍ला को बचाने के लि‍ए हाथ-पैर तक जोड़े, लेकिन उनका दि‍ल नहीं पसीजा। यहां तक कि‍ पीड़ित परि‍वार के वकील ने भी गुहार लगाई। डोनर के बैंक ट्रांजेक्‍शन तक सत्‍यापन कराए गए, लेकिन डीएम के मन में शक इस कदर समा गया कि‍ समय पर ट्रांसप्‍लांट न होने से महि‍ला की जान चली गई।
ये है पूरा मामला
-त्रि‍वेणीनगर नि‍वासी वि‍नीता सक्‍सेना नवोदय वि‍द्यालय कानपुर देहात में शि‍क्षि‍का के पद पर तैनात हैं।
-अगस्‍त 2015 में वि‍नीता सक्‍सेना को कि‍डनी की बीमारी का पता चला।
-बीमारी का पता चलने के बाद वि‍नीता का इलाज मैक्‍स हॉस्‍पिटल दि‍ल्‍ली में चल रहा था।
-इलाज के दौरान हॉस्‍पिटल की तरफ से वि‍नीता सक्‍सेना के भाई डॉ. आलोक कुमार से ट्रांसप्‍लांट की आवश्‍यकता बताई गई।
-19 दि‍संबर 2015 को वि‍नीता और डॉ. आलोक दि‍ल्‍ली से बात करके लौटे।
-इस बीच वि‍द्यालय में कार्य करने वाली महि‍ला ममता ने स्‍वेच्‍छा से कि‍डनी देने की इच्‍छा जताई।
अस्‍पताल प्रशासन ने भी दी थी ट्रांसप्‍लांट की स्‍वीकृति
-ममता कानपुर देहात के अंतर्गत अकबर तहसील के रौंगवा गांव की नि‍वासी हैं।
-लीवर देने के लिए तैयार होने के बाद डॉ. आलोक कुमार डोनर और मरीज को लेकर 5 जनवरी 2016 को दि‍ल्‍ली पहुंचे।
-वहां पर अस्‍पताल प्रशासन ने डोनर से संतुष्‍ट होने के बाद ट्रांसप्‍लांट के लि‍ए स्‍वीकृति‍ दी।
-स्‍वीकृत मि‍लने के बाद हॉस्‍पिटल की तरफ से एनओसी के लि‍ए एक फाइल यूपी डीजीएमई को भेजी गई।
ट्रांसप्‍लांट में डोनर को पूरी करनी पड़ती है ये औपचारि‍कताएं
-ट्रांसप्‍लांट के केस में अगर डोनर पारि‍वारि‍क है, तो ब्‍लड मैचिंग के साथ कुछ और टेस्‍ट कर अस्‍पताल ट्रांसप्‍लांट कर देते हैं।
-अगर डोनर ब्‍लड रि‍लेशन में नहीं है तो काफी औपचारि‍कताएं पूरी करनी पड़ती है।
-सबसे पहले पेशेंट और डोनर के बीच अस्‍पताल मैच कराता है।
-इस दौरान डोनर की काउंसिलिंग भी करता है कि‍ कहीं दबाव या प्रलोभन के लि‍ए तो नहीं हो रहा है।
-इसका बकायदा वीडि‍यो फुटेज भी तैयार कराया जाता है।
-पूरी प्रक्रि‍या में संतुष्‍ट होने के बाद ही अस्‍पताल डीजीएमई को एनओसी के लि‍ए फाइल भेजता है।
-डीजीएमई के पास फाइल आने पर उसकी दो कॉपी बनती है।
-एक फाइल स्‍टेट कमिटी और दूसरी जि‍ला कमिटी को भेजी जाती है।
-स्‍टेट कमिटी की अध्‍यक्षता प्रमुख सचि‍व मेडि‍कल एजूकेशन और जि‍ला कमिटी के चेयरमैन डीएम होते हैं।
-जि‍ला कमिटी से एनओसी के लि‍ए तहसीलदार से लेकर एसडीएम, सीएमओ और फि‍र डीएम की परमीशन जरूरी होती है।
-तहसीलदार और एसडीएम, जहां डोनर का वेरीफि‍केशन कर रि‍पोर्ट देते हैं, वहीं सीएमओ टेक्‍नि‍कल रि‍पोर्ट देते हैं।
-इसमें डोनर के परि‍जनों की जानकारी में डोनर से एफि‍डेवि‍ट भी लगाना पड़ता है।
-इसके बाद पूरी फाइल एक जगह सबमिट होने के बाद डीएम के पास परमीशन के लि‍ए जाती है।
-डीएम की परमीशन मि‍लने के बाद स्‍टेट कमिटी ट्रांसप्‍लांट के लि‍ए एनओसी दे देती है।
दो महीने में भाग-दौड़ कर बहन के लि‍ए पूरी की सारी औपचारि‍कताएं
-डॉ. आलोक के पारि‍वारि‍क मि‍त्र और हाईकोर्ट में प्रैक्‍टि‍स कर रहे एडवोकेट फरीद अली सि‍द्दिकी के मुताबि‍क, डॉ. आलोक ने फाइल के एनओसी के लि‍ए काफी चक्‍कर काटा।
-एडवोकेट फरीद अली सि‍द्दिकी के मुताबि‍क, 17 मार्च 2016 को सीएमओ कानपुर देहात डॉ. रामाश्रय सिंह ने एसडीएम को डोनर के आय और नि‍वास प्रमाण पत्र के सत्‍यापन के लि‍ए पत्र लि‍खा था।
-इस दौरान 19 मार्च को सीएमओ की अध्‍यक्षता में टेक्‍नि‍कल कमिटी की बैठक हुई।
-बैठक में डोनर की 5 मि‍नट की सीडी तैयार करने के बजाय 20 मि‍नट की सीडी तैयार कराई गई।
-कमिटी में संयुक्‍त जि‍ला चि‍कि‍त्‍सालय अकबरपुर के दोनों सीएमएस के अलावा सीनि‍यर फिजि‍शि‍यन भी शामि‍ल हुए।
-पूरी तरह संतुष्‍ट होने के बाद डीएम के पास एनओसी के लि‍ए 21 मार्च को फाइल भेजी गई।
डीएम ने 31 मार्च को दी थी सुनवाई की डेट
-एडवोकेट के मुताबि‍क, 21 मार्च को फाइल रि‍सीव कराने के बावजूद डीएम कानपुर देहात ने 31 मार्च की डेट दे दी।
-उस दौरान लखनऊ में आईएएस वीक चल रहा था।
-पूर्व में दी गई डेट पर डॉ. आलोक सक्‍सेना और डोनर के साथ वह स्‍वयं डीएम से मि‍लने पहुंचे थे।

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