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मूवमेंट पर नेवी की कड़ी नजर : चीन का जासूसी स्पाई शिप हंबनटोटा पोर्ट के करीब, जाने क्या खतरा

नई दिल्ली। मूवमेंट पर नेवी की कड़ी नजर : चीन का जासूसी स्पाई शिप हंबनटोटा पोर्ट के करीब, जाने क्या खतरा…. चीन का जासूसी शिप युआन वांग-5, 35 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भारत की टोह लेने के लिए श्रीलंका की ओर बढ़ रहा है। इसके 11 अगस्त को हंबनटोटा पहुंचने की संभावना है। भारत ने इस स्पाई शिप को लेकर श्रीलंका के सामने विरोध दर्ज कराया है। इसके बावजूद श्रीलंका ने इसे हंबनटोटा पोर्ट पर आने की अनुमति दे दी है। भारत इसको लेकर अलर्ट पर है।

11 अगस्त को श्रीलंका पहुंचेगा चीन का स्पाई शिप

शिप के मूवमेंट पर इंडियन नेवी की कड़ी नजर है। चीनी जासूसी शिप युआन वांग-5, 13 जुलाई को जियानगिन पोर्ट से रवाना हुआ था और 11 अगस्त को श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर पहुंचेगा। हंबनटोटा में यह एक हफ्ते यानी 17 अगस्त तक रहेगा। इस पोर्ट को चीन ने श्रीलंका से 99 साल की लीज पर लिया है। इस शिप को स्पेस और सैटेलाइट ट्रैकिंग में महारत हासिल है।

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चीन युआन वांग क्लास शिप के जरिए सैटेलाइट, राकेट और इंटरकान्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएम की लान्चिंग को ट्रैक करता है। चीन के पास इस तरह के 7 शिप हैं, जो पूरे प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर में काम करने में सक्षम हैं। ये शिप जासूसी कर बीजिंग के लैंड बेस्ड ट्रैकिंग स्टेशनों को पूरी जानकारी भेजते हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस शिप को पीएलए की स्ट्रैटजिक सपोर्ट फोर्स यानी एसएसएफ आपरेट करती है।

इसरो के लान्च स्टेशन से लेकर मिसाइल और नौसेना बेस तक की जासूसी का खतरा

एसएसएफ थिएटर कमांड लेवल का आर्गेनाइजेशन है। यह पीएलए को स्पेस, साइबर, इलेक्ट्रानिक, इंफार्मेशन, कम्युनिकेशन और साइकोलाजिकल वारफेयर मिशन में मदद करती है। इससे पहले चीन ने 2022 में जब लान्ग मार्च 5बी राकेट लान्च किया था, तब यह शिप निगरानी मिशन पर निकला था। हाल ही में यह चीन के तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन के पहले लैब माड्यूल की लान्चिंग की समुद्री निगरानी में भी शामिल था।

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श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने पहले चीनी शिप के हंबनटोटा आने की खबरों को खारिज कर दिया था। बाद में श्रीलंका ने इस मसले पर सफाई देते हुए इसे नियमित गतिविधि बताया और कहा कि उसने पहले भी कई देशों को ऐसी इजाजत दी है। अब तक श्रीलंका कहता आया है कि वो हंबनटोटा पोर्ट का इस्तेमाल मिलिट्री एक्टिविटी के लिए नहीं होने देगा। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव श्रीलंका, यानी बीआरआईएसएल ने बताया कि युआन वांग-5, 11 अगस्त को हंबनटोटा पहुंचने के बाद हिंद महासागर क्षेत्र के नार्थ-वेस्टर्न हिस्से में अगस्त से सितंबर तक चीन के सैटेलाइटों को ट्रैक कर रिसर्च करेगा।

इसलिए श्रीलंका का इसे सामान्य कदम बताना एकदम गलत है

अपने बयान में कहा है कि युआन वांग-5 की हंबनटोटा पोर्ट की यात्रा श्रीलंका और विकासशील देशों के अपने स्पेस प्रोग्राम्स को सीखने और डेवलप करने का मौका देता है। एक्सपर्ट कहते हैं कि ये जहाज 11 से 17 अगस्त तक हंबनटोटा में रहेगा। इतने दिनों में तो बहुत सारी जानकारियां जुटाई जा सकती हैं। इसलिए श्रीलंका का इसे सामान्य कदम बताना एकदम गलत है।

युआन वांग-5 मिलिट्री नहीं बल्कि पावरफुल ट्रैकिंग शिप है। ये शिप अपनी आवाजाही तब शुरू करते हैं, जब चीन या कोई अन्य देश मिसाइल टेस्ट कर रहा होता है। यह शिप लगभग 750 किलोमीटर दूर तक आसानी से निगरानी कर सकता है। 400 क्रू वाला यह शिप पैराबोलिक ट्रैकिंग एंटीना और कई सेंसर्स से लैस है।

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हंबनटोटा पोर्ट पर पहुंचने के बाद इस शिप की पहुंच दक्षिण भारत के प्रमुख सैन्य और परमाणु ठिकाने जैसे कलपक्कम, कुडनकुलम तक होगी। साथ ही केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कई पोर्ट यानी बंदरगाह चीन के रडार पर होंगे। कुछ एक्सपर्ट का यह भी कहना है कि चीन भारत के मुख्य नौसैना बेस और परमाणु संयंत्रों की जासूसी के लिए इस जहाज को श्रीलंका भेज रहा है।

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