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कजरी व झूला गीतों की मनभावन प्रस्तुति से सजी चौपाल

लखनऊ। लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा आयोजित लोक चौपाल में इस बार चातुर्मास और लोक जीवन विषय पर पर चर्चा हुई। शुक्रवार को इंजीनियरिंग कालेज चौराहा स्थित रिध्या वेंचर परिसर में हुई लोक चौपाल में चौधरी के रूप में संगीत विदुषी प्रोफेसर कमला श्रीवास्तव, कुमायूं कोकिला विमल पन्त, संगीत गुरु डा. इन्दू रायजादे सम्मिलित हुए। कलाकारों ने कजरी व झूला गीतों की मनभावन प्रस्तुति भी दी।कार्यक्रम का शुभारम्भ विमल पन्त, अरुणा उपाध्याय एवं रुपाली रंजन श्रीवास्तव ने सामूहिक गणेश वन्दना से की। संगीत विदुषी प्रो. कमला श्रीवास्तव ने चातुर्मास के वैशिष्ट्य पर चर्चा करते हुए बताया कि आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी से कार्तिक मास की देवोत्थान एकादशी तक का कालखण्ड में खान-पान, व्रत के नियम और संयम का पालन करना चाहिए।

चौपाल के सांगीतिक सत्र की शुरुआत चातुर्मास गीत आवा आसाढ़ घिर आये बदरवा की सामूहिक प्रस्तुति से हुई। वरिष्ठ लोक गायिका इन्दू सारस्वत ने पहिला मास असाढ़ बरखा भई है अपार, रीता पाण्डेय ने पिया मेंहदी ले आय द मोती झील से, अम्बुज अग्रवाल ने अरे रामा राधा भई बावरिया सुन मोहना की बंसुरिया ना, तन्नू चौहान ने क्या मांगू मैं तुमसे भोले, पल्लवी निगम ने राम सिया के मधुर मिलन को कोयलिया कजरी गाये,

रिंकी विश्वकर्मा ने हम तो खेलन जइबै सावन मा कजरिया, रेखा अग्रवाल ने रेशम की रसरी, सरिता अग्रवाल ने राजस्थानी सावन गीत सोने की गढ़ा दो मारी पायलड़ी कोई हीरा तो जड़ा दो मारो झूमका, अरुणा उपाध्याय ने अरे रामा रिमझिम परत फुहार, कुमकुम मिश्रा ने सावन झर लागे ओ धीरे धीरे, रुपाली रंजन श्रीवास्तव ने एक दिन अउते पिया अपनी ससुराल में सावन की बहार में न, ज्योति किरन रतन ने झूला धीरे से झुलाओ सुकुमारी सिया हैं,

मधुलिका श्रीवास्तव व रानी वर्मा ने अरे रामा भीजत मोरी चुनरिया, संगीता खरे ने नथुनिया से बूंद टपके, कल्पना सक्सेना ने मोरे राजा छतरिया छवाय द कि रस की बूंद पड़ी सुनाया। मीनू पाण्डेय, भजन गायक गौरव गुप्ता आदि ने भी सराहनीय प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में नीलम वर्मा, आभा शुक्ला, अवनीश शुक्ला, वरिष्ठ समाजसेवी अरविन्द शुक्ला, राजनारायण वर्मा, शालिनी वैद्य, मीना, मंजू श्रीवास्तव, रोली अग्रवाल आदि की प्रमुख उपस्थिति रही। आशीष गुप्त एवं सौम्या अग्रहरि ने अतिथियों का स्वागत सम्मान किया।

लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव श्रीमती सुधा द्विवेदी ने बताया कि कार्यक्रम में भारत की नवनिर्वाचित प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को बधाई दी गई तथा सावन माह में गाये जाने वाले आदिवासी संगीत करमा की प्रस्तुति भी हुई। इस अवसर पर सहयोगी संस्था नीलाक्षी लोक कला कल्याण समिति से जुड़े महिलाओं के स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित अचार, नमकीन तथा हस्तनिर्मित राखियों का स्टाल भी लगा जहां लोगो ने खरीददारी की।

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