न मास्टरमाइंड पकड़ा गया, न लोगों को नौकरी मिली
जौनपुर । 28 जुलाई (mastermind) 2005 को रोजाना की तरह श्रमजीवी एक्सप्रेस अपने तय समय से जौनपुर से गुजर रही थी। रोनी ने प्लेटफार्म नंबर 3 पर वह जगह भी दिखाई जहां ट्रेन में बम रखा गया था। पटना से दिल्ली जाने वाली ट्रेन संख्या 12391 जौनपुर के सिंगरामऊ के हरपालगंज रेलवे स्टेशन के करीब ही पहुंची थी।
साल 2016 में आलमगीर को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई। तो वहीं अब्दुर्रहमान को दोषी पाते हुए मृत्युदंड दिया गया था। मामले के मास्टरमाइंड (mastermind) कंचन उर्फ शरीफ को आज तक एजेंसी गिरफ्तार नहीं कर पाई है। वहीं मृतकों के आश्रितों को आज तक नौकरी नहीं मिल पाई है। तभी जनरल बोगी में विस्फोट हुआ।
इस आतंकी हमले में 14 लोगों को जान गवानी पड़ी थी। वहीं 62 यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए थे। घायलों को जिला अस्पताल से लेकर बीएचयू तक एडमिट कराया गया। ट्रेन अगर अपने निर्धारित समय पर चलती तो सुल्तानपुर स्टेशन पर होती। उस वक्त अगर ब्लास्ट होता तो नुकसान ज्यादा हो सकता था।
घटना में 14 लोग मारे गए और लगभग 62 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। लालू यादव ने घटनास्थल के साथ-साथ ट्रेन की अन्य बोगियों का भी जायजा लिया था। उन्होंने घटना में मारे गए लोगों के आश्रितों को नौकरी देने का वादा किया था।
विस्फोट मामले में ट्रेन के गार्ड जफर अली ने जीआरपी थाने में केस दर्ज कराया था।दिल्ली से पटना जाने वाली ट्रेन अपने समय से लेट चल रही थी। लखनऊ डिवीजन के हरपालगंज और कोइरीपुर स्टेशन के बीच विस्फोट के बाद हड़कंप और अफरा-तफरी मच गई। किसी तरह मौके पर एंबुलेंस स्थानीय लोग पहुंचे।