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destruction of democratic values : योगी के बयान पर अखिलेश का पलटवार, जाने क्या कहा….

लखनऊ। destruction of democratic values : योगी के बयान पर अखिलेश का पलटवार, जाने क्या कहा…. योगी आदित्यनाथ के बयान पर अब उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी ट्वीट के जरिए पलटवार किया है। अखिलेश यादव ने साफ तौर पर कहा है कि अराजकता आबादी से नहीं, लोकतांत्रिक मूल्यों की बरबादी से उपजती है। अपने ट्वीट में अखिलेश यादव ने लिखा कि अराजकता आबादी से नहीं, लोकतांत्रिक मूल्यों की बरबादी से उपजती है। हालांकि अखिलेश ने इस ट्वीट के दौरान किसी का नाम तो नहीं लिया। लेकिन माना जा रहा है कि यह कहीं ना कहीं योगी के बयान का जवाब है।

destruction of democratic values : बोले- अराजकता आबादी से नहीं

योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम सफलतापूर्वक आगे बढ़े, लेकिन जनसांख्यिकी असंतुलन की स्थिति भी न पैदा हो पाए। योगी ने कहा था कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि जनसंख्या वृद्धि की गति या किसी समुदाय का प्रतिशत अधिक हो और हम मूल निवासियों की आबादी को स्थिर करने के लिए जागरूकता या प्रवर्तन के माध्यम से कार्य कर रहे हों। उन्होंने कहा कि इसका धार्मिक जनसांख्यिकी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और वहां अराजकता और अव्यवस्था शुरू हो जाती है।

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इसलिए जब हम जनसंख्या स्थिरीकरण के बारे में बात करते हैं तो यह सभी के लिए और जाति, धर्म, या क्षेत्र के ऊपर एक समान होना चाहिए। भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का भी बयान सामने आ गया है। नकवी ने साफ तौर पर कहा है कि जनसंख्या विस्फोट को किसी धर्म से जोड़ना जायज नहीं है। अपने ट्वीट में मुख्तार अब्बास नकवी ने लिखा कि बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट किसी मजहब की नहीं, मुल्क की मुसीबत है। इसे जाति, धर्म से जोड़ना जायज नहीं। मुख्तार अब्बास नकवी का बयान ऐसे समय में आया है जब हाल में उन्होंने केंद्रीय पद से इस्तीफा दिया है।

destruction of democratic values : लोकतांत्रिक मूल्यों की बरबादी से उपजती है

उनका राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। ओवैसी ने कहा कि विश्व जनसंख्या दिवस पर संघी फेक न्यूज फैलाने में समय बिताएंगे। सच्चाई यह है कि मोदी के शासन में भारत के युवा और बच्चों का भविष्य अंधकारमय है। भारत के कम से कम आधे युवा बेरोजगार हैं। भारत दुनिया में सबसे अधिक कुपोषित बच्चों का गढ़ है। भारत की प्रजनन दर प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है। कोई जनसंख्या विस्फोट नहीं है। चिंता एक स्वस्थ और उत्पादक युवा आबादी सुनिश्चित करने की है, जिस पर मोदी सरकार बुरी तरह विफल रही है।

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