अंतराष्ट्रीय

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में पेट्रोल-डीजल का भीषण संकट

कोलंबो  – श्रीलंका का आर्थिक संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. पड़ोसी देश में लोग खाने-पीने की चीजों के लिए परेशान हो रहे हैं और देश की अर्थव्यवस्था अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है. हालात ऐसे हैं कि सरकार को कई ऐसे फैसले लेने पड़ रहे हैं, जिनकी वजह से जनता की मुसीबतें और बढ़ रही हैं. देश में पेट्रोल-डीजल आदि ईंधन की बड़ी किल्लत हो गई है. ऐसे में सरकार ने सोमवार से देशभर के स्कूलों में एक हफ्ते की छुट्टी देने का फैसला किया है.

श्रीलंका में पेट्रोल-डीजल का भीषण संकट

एक हफ्ते की छुट्टी देने का फैसला किया है

श्रीलंका के शिक्षा मंत्रालय ने रविवार को बताया कि सोमवार 4 जुलाई से सभी सरकारी और सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूलों में 8 जुलाई तक छुट्टियां घोषित कर दी गई हैं. सरकार को यह निर्णय लेना पड़ा क्योंकि पिछले कुछ हफ्तों में यातायात के साधनों की कमी के चलते स्कूलों में प्रिंसिपल, टीचर और छात्रों की कमी देखी जा रही है. ऐसे वक्त में सरकार ने मंत्रालय के अधिकारियों, राज्यों के शिक्षा सचिवों और अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर यह निर्णय लिया है

पिछले कई दिनों से पेट्रोल-डीजल के लिए कतारों में खड़े लोगों को घर भेजते हुए सरकारी सिलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (CPC) ने वाहनों को ईंधन देने से साफ इनकार कर दिया है. श्रीलंका में सिर्फ स्वास्थ्य सेवा में लगे वाहनों, पब्लिक ट्रांस्पोर्ट के साथ ही कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस्तेमाल होने वाले वाहनों व खाद्य आपूर्ति आदि में लगे वाहनों को ही ईंधन दिया जा रहा है.

ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखने का अनुरोध किया

सरकार ने लोगों से घर से ही काम करने को कहा है और शहरी स्कूलों को बंद करने के साथ ही उनसे ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखने का अनुरोध किया गया है. सभी प्राइवेट वाहनों को भारतीय कंपनी द्वारा चलाए जा रहे फ्यूल स्टेशनों के भरोसे रहना पड़ रहा है, जहां पर वाहनों को सीमित मात्रा में ही फ्यूल दिया जा रहा है. ईंधन की कमी के चलते श्रीलंका में बहुत से लोग अपने गंतव्य तक पहुंचे के लिए साइकिल का इस्तेमाल कर रहे हैं.

पेट्रोलियम के लिए श्रीलंका भारत द्वारा 3.5 अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन के भरोसे है. यह आर्थिक मदद भारत ने श्रीलंका को इसी साल जनवरी में दी थी. श्रीलंका इस समय अपने सबसे खराब आर्थिक हालात से जूझ रहा है. संयुक्त राष्ट्र के फूड प्रोग्राम के अनुसार इसी साल मई में कोलंबो में खाद्य मुद्रास्फिति रिकॉर्ड उच्च स्तर 57.4 फीसद पर पहुंच गई थी.

यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के मुताबिक श्रीलंका में पचास लाख लोग यानी कुल जनसंख्या के 22 फीसद लोग खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं और उन्हें मदद की आवश्यकता है.

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