भारत, कोरिया या आस्ट्रेलिया क्यों अब तक इसका हिस्सा ( part )नहीं बन पाए.
जर्मनी के बेवेरिया राज्य में जी-7 शिखर सम्मेलन हो रहा है. दुनिया के साथ विकसित देश इसका हिस्सा हैं लेकिन पिछले कुछ सालों से भारत भी इसमें शिरकत करता रहा है. आखिर क्यों भारत इसका हिस्सा ( part ) नहीं है और नहीं है तो भी इसमें शिरकत किस हैसियत से करता है. उससे क्या मिलता है. वैसे इस बार जी-7 के शिखर सम्मेलन में रूस पर बड़े पैमाने पर कुछ नए प्रतिबंध लगाने पर ये देश फैसला लेंगे.
जी-7 के सात अमीर और औद्योगिक देश पूरी दुनिया को प्रभावित करते हैं. ये कहा जा सकता है कि दुनिया की 10 फीसदी आबादी ये सात देश दुनिया की 90 फीसदी आबादी को प्रभावित करते हैं. इसका सम्मेलन जर्मनी के म्यूनिख में 26 जून से शुरू होकर 28 जून तक चलेगा.
पिछली बार जब जी7 के देश मिले थे तो मकसद कोरोना वायरस से निपटने का था लेकिन इस बार मुख्य मुद्दा रूस है. उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जाएंगे. साथ में पर्यावरण से लेकर दूसरे मुद्दों पर चर्चा होगी. आखिर ये जी-7 क्या है और क्यों भारत इसका हिस्सा नहीं है?
कौन से देश हैं शामिल
जी7 यानि दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं से मिलकर बना एक समूह, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, जापान, इटली और जर्मनी शामिल हैं. मुख्य तौर पर इसका लक्ष्य मानवाधिकारों की रक्षा, कानून बनाए रखना और लगातार विकास है.
समूह खुद को “कम्यूनिटी ऑफ़ वैल्यूज” यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है. स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और क़ानून का शासन और समृद्धि और सतत विकास, इसके प्रमुख सिद्धांत हैं.
कब हुई इसकी शुरुआत
25 मार्च 1973 को इस संगठन की शुरुआत हुई थी. तब ये 06 सदस्य देशों का समूह था. उसके अगले साल कनाडा इसमें शामिल हुआ. साल 1998 में इस समूह में रूस भी शामिल हो गया था और यह जी-7 से जी-8 बन गया था. प्रत्येक सदस्य देश बारी-बारी से इस समूह की अध्यक्षता करता है और दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करता है.
क्यों हटाया गया रूस
शुरुआत में रूस भी इस संगठन का हिस्सा था लेकिन फिर देशों में उसे लेकर मतभेद हो गया. रूस ने साल 2014 में यूक्रेन के काला सागर प्रायद्वीप क्रीमिया पर कब्जा कर लिया. इसके बाद तुरंत ही रूस को समूह से निकाल दिया गया. यहां बता दें कि रूस के साथ रहने पर इस समूह में 8 सदस्य देश थे और इसे जी-8 कहा जाता था.
कुछ साल पहले इसको जी-8 कहा जाता था लेकिन रूुस को 2015 में इससे निकाल दिया गया, उसके बाद ये जी7 हो गया.
चीन क्यों नहीं सदस्य
यहां एक सवाल ये भी आता है कि अगर ये संगठन आर्थिक तौर पर मजबूत देशों का है तो चीन का इसमें नाम क्यों नहीं, जबकि वो देश दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था कहला रहा है. इसका जवाब ये है कि चीन में अब भी जीडीपी के हिसाब से प्रति-व्यक्ति आय काफी कम है क्योंकि उनकी आबादी ज्यादा है. यही कारण है कि चीन को इसका हिस्सा नहीं बनाया जा रहा.
भारत को संगठन में शामिल करने की बात हो रही
भारत भी जी-7 में शामिल नहीं हो सका लेकिन अब उसकी ग्लोबल पहचान बढ़ी है, और विदेशों से संबंध भी बेहतर हुए. यही कारण है कि भारत को पिछले कुछ सालों से गेस्ट नेशन के तौर पर सम्मेलन में बुलाया जाता रहा है. भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, कोरिया और दक्षिण अफ्रीका को भी गेस्ट देशों की तरह आमंत्रित किया जाता रहा है.