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इंजीनियर ने नौकरी छोड़ खोली गधी के दूध की डेयरी donkey milk dairy

नई दिल्‍ली. जब गधे का जिक्र होता है तो एक बेबस और असहाय जानवर की तस्‍वीर आंखों के सामने आती है. लेकिन, यह जानवर भी आपको करोड़पति बनाने की क्षमता रखता है. अगर आप मादा गधों को दूध के लिए पालते हो तो आप कुछ ही समय में मालामाल हो सकते हैं. गधी के दूधdonkey milk dairy की डिमांड अब भारत में भी अब बढ़ रही है. और हां, यह दूध कोई 50 या 100 रुपये लीटर नहीं बिकता. इसका दाम 5,000 रुपये तक प्रति लीटर तक बिकता है.

कर्नाटक के श्रीनिवास गौड़ा ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर गधी पालन (Donkey Milk Farming) शुरू किया है. श्रीनिवास का कहना है कि गधी के दूध की बहुत मांग है. उनके पास अब तक 17 लाख रुपये के ऑर्डर आ चुके हैं. वे गधी का दूध पैकिंग करके बेचेंगे. उन्‍होंने 30 मिलीलीटर पैक की कीमत 150 रुपये रखी है. श्रीनिवास गौड़ा का दावा है कि मॉल, शॉप्‍स और सुपर मार्केट में गधी के दूध के ये पैकेट बिकेंगे.
श्रीनिवास गौड़ा कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के इरा गांव में रहते हैं. 2020 तक उन्‍होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया. इसके बाद वे गांव में आ गए और उन्‍होंने अपने गांव में 2.3 एकड़ पर खरगोश और कड़कनाथ मुर्गों का ब्रिडिंग फॉर्म खोला. श्रीनिवास का कहना है कि गधों की कुछ प्रजातियों की घटती संख्‍या से उन्‍हें डंकी मिल्‍क फॉर्मिंग करने का विचार आया. उनका कहना है कि जब उन्‍होंने अपनी योजना दूसरे लोगों को बताई तो उन्‍हें डंकी फार्म का विचार कुछ अच्‍छा नहीं लगा. लेकिन, उन्‍होंने लोगों की परवाह न करते हुए 20 मादा गधों के साथ काम शुरू कर दिया.

गौड़ा का कहना है कि गधी का दूध स्‍वादिष्‍ट तो है ही साथ ही इसमें भरपूर चिकित्‍सीय गुण भी मौजूद है. यही कारण है कि इसके दूध की कीमत बहुत ज्‍यादा है. गौड़ा का कहना है कि वो गधी के दूध को पैकेट में बेचेंगे. 30 मिलीलीटर दूध वाले पैकेट की कीमत 150 रुपये रखी है. गौड़ा का दावा है कि उन्‍हें अब तक 17 लाख रुपये के ऑर्डर मिल चुके हैं. दुकानों, मॉल और सुपरमार्केट में डंकी मिल्‍क की काफी मांग है.

गधी के दूध से बने उत्‍पाद हैं बहुत महंगे

ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन मिस्र की महिला शासक क्लियोपैट्रा अपनी ख़ूबसूरती बरक़रार रखने के लिए गधी के दूध में नहाया करती थीं. गधी के दूध का कारोबार भारत में उस तरह से नहीं है, जिस तरह से यह यूरोप और अमरीका में शुरू हो चुका है. यह कारोबार भारत में अभी शुरुआती चरण में है. गधी के दूध से बने साबुन, मॉश्चराइज़र और क्रीम की अब अच्‍छी डिमांड भारत में भी होने लगी है. गधी के दूध से बनी 100 ग्राम साबुन 500 रुपये तक की आती है.

बड़े काम है गधी का दूध
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने अपने शोध में पाया है कि गधी का दूध एक इंसानी दूध की तरह है, जिसमें प्रोटीन और वसा की मात्रा कम होती है, लेकिन लैक्टॉस अधिक होता है. गधी का दूध महिला के दूध जैसा होता है, वहीं इसमें एंटी-एजिंग, एंटी-ऑक्सिडेंट और री-जेनेरेटिंग कंपाउंड्स होते हैं जो त्वचा को पोषण देने के अलावा उसे मुलायम बनाने में काम आते हैं.

कितना दूध देती है गधी

आणंद कृषि विश्वविद्यालय के पशु आनुवंशिकी और प्रजनन विभाग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर डी.एन. रांक का कहना है कि एक गधी दिन में अधिकतम आधा लीटर दूध देती है और हर गधी का दूध उसके रख-रखाव के तरीके से घट-बढ़ सकता है. गधों का ध्यान न रखना और उनसे बेतरतीब काम कराने से दूध नहीं मिल सकता है. अगर गधी से दूध लेना है तो इसे सही तरीके से रखना होगा और इसके खान-पान का भी विशेष ध्‍यान रखना होगा.
घट रही है गधों की संख्‍या

भारत में लगातार गधों की संख्‍या घट रही है. 2012 में पशुओं की हुई गणना में देश में 3.2 लाख गधे पाए गए थे. वहीं 2019 की पशु गणना में इनकी संख्‍या घटकर 1.2 लाख रुपये रह गई. गधों की संख्‍या के घटने का प्रमुख कारण अब इनकी माल ढुलाई में उपयोगिता का न रहना है.

 

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