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सर्वाइकल कैंसर की स्वदेशी वैक्सीन ‘सर्ववैक” (Sarvavac’ )जल्द बाजार में होगी उपलब्ध

नई दिल्ली: महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर से सुरक्षा के लिए देश में बनी भारत की पहली क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस वैक्सीन अब जल्द बाजार में उपलब्ध होगी. ड्रग रेग्युलेटर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी ने इस वैक्सीन के मार्केट अथॉराइजेशन को मंजूरी देने की सिफारिश कर दी है. सरकारी सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी. इस वैक्सीन को बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को उम्मीद है कि सर्ववैक‘ (Sarvavac’ ) को इस साल के आखिर तक बाजार में लॉन्च किया जा सकता है.

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में प्रकाश कुमार सिंह, निदेशक (सरकारी और नियामक मामले) ने 8 जून को भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) से पैपिलोमावायरस वैक्सीन के बाजार प्राधिकरण के लिए आवेदन किया था. देश में इसकी शीघ्र उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग के समर्थन से क्लिनिकल टेस्ट के तीन में से दो चरणों को पूरा करने के बाद ऐसा किया गया.

ट्रायल में मिले सर्ववैक’ से बेहतर नतीजे

इस आवेदन में एसआईआई ने कहा है कि पैपिलोमावायरस वैक्सीन सर्ववैक’ ने मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रिया दिखाई है. सभी उम्र की महिलाओं में सभी एचपीवी वायरस पर एंटीबॉडी रिस्पांस बेसलाइन से 1000 गुना ज्यादा देखा गया है.

आधिकारिक सूत्र ने बताया कि, “सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने बुधवार को आवेदन पर विचार-विमर्श करते हुए सीरम इंस्टीट्यूट को सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ पैपिलोमावायरस वैक्सीन के निर्माण के लिए बाजार प्राधिकरण देने की सिफारिश की.”

आवेदन में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बताया कि, हर साल लाखों महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के साथ-साथ कुछ अन्य कैंसर का सामना करना पड़ता और इसका मृत्यु अनुपात बहुत अधिक है. भारत में सर्वाइकल कैंसर 15 से 44 वर्ष की आयु की महिलाओं में दूसरा सबसे अधिक बार होने वाला कैंसर है.
महिलाओं की सर्विक्स कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है. सर्विक्स यानि गर्भाशय के नीचे वाला छोटा सा हिस्सा. गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर आमतौर पर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के कारण होता है. भारत में सर्वाइकल कैंसर के हर साल लगभग 80-90 हजार मामले आते हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है.

 

 

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