राष्ट्रीय

 1.5 लाख करोड़ के 114 फाइटर जेट( 114 fighter jets ) के लिए ऑर्डर जल्द

नई दिल्ली. फ्रांस से 36 राफेल विमानों की डील के बाद देश में यह सवाल उठने लगा था कि इतने कम फाइटर जेट क्यों खरीदे गए जबकि जरूरत इससे कहीं ज्यादा की थी. पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने 112 राफेल विमान का सौदा किया था. इसके बाद सरकार की ओर से कहा गया कि आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत अधिकांश विमान अब अपने देश में ही बनाए जाएंगे. इसी उद्येश्य की पूर्ति के लिए भारतीय वायु सेना ने 114 लड़ाकू विमानों को 1.5 लाख करोड़ ( 114 fighter jets ) रुपये में अधिग्रहित करने की योजना बनाई है. इसके तहत 96 फाइटर विमानों का निर्माण भारत में ही किया जाएगा जबकि बाकी 18 विमान तत्काल जरूरतों को देखते हुए विदेश से मंगवाया जाएगा.

इन 114 मल्टीरोल विमानों का अधिग्रहण बाय ग्लोबल एंड मेक इन इंडिया के तहत किया जाएगा. इसमें भारतीय रक्षा कंपनियों को यह छूट होगी कि वह विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी करे. हाल ही में भारतीय वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने कुछ विदेशी वेंडरों के साथ बैठक की है और उनसे कहा कि वे मेक इन इंडिया के तहत फाइटर जेट का निर्माण हमारे देश में करें.
भारतीय मुद्रा में लेना होगा भुगतान
योजना के मुताबिक शुरुआत में 18 विमानों का अधिग्रहण के लिए जल्दी में विदेश से आयात किए जाएंगे. इसके बाद 36 विमानों का निर्माण भारत में किया जाएगा. इसके लिए भुगतान विदेशी मुद्रा के साथ-साथ भारतीय मुद्रा में भी लेना होगा. इसके बाद बाकी बचे 60 फाइटर जेट को बनाने की जिम्मेदारी भारतीय साझीदारों पर होगी और उन्हें सिर्फ भारतीय मुद्रा में ही भुगतान लेना होगा. भारतीय मुद्रा में भुगतान लेने के कारण विदेशी वेंडर को भी कम से कम 60 प्रतिशत विमान में लगने वाले कल पुर्जे भारत से ही खरीदने होंगे. इससे मेक इन इंडिया को मजबूती मिलेगी.
कई विदेशी कंपनियां टेंडर में भाग लेंगी
भारतीय वायु सेना जल्द ही इसके लिए टेंडर निकालेगी. उम्मीद है कि इस टेंडर में विदेशी कंपनियां बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, साब, मिग, इरकुत कॉर्पोरेशन और डसॉल्ट एविएशन कंपनियां भाग लेंगी. अगर इन 114 फाइटर जेट का अधिग्रहण हो जाता है तो पड़ोसी पाकिस्तान और चीन पर भारत की बढ़त में इन्हीं विमानों पर निर्भरता होगी. 2020 में लद्दाख संकट के समय आपातकाल परिस्थिति में भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदा था. इससे चीन पर बढ़त बनाने में काफी मदद मिली थी लेकिन विमानों की यह संख्या पर्याप्त नहीं थी. इसकी फिलहाल और जरूरत है. इसलिए 114 विमानों का अधिग्रहण अतिशीघ्र करने की आवश्यकता है.
83 विमानों का ऑर्डर पहले से ही
हालांकि वायुसेना ने 83 एलसीए यानी लाइट कॉम्बेट एयक्राफ्ट का ऑर्डर पहले ही दे दिया है लेकिन इसके बावजूद अभी और विमानों की जरूरत है क्योंकि बड़ी संख्या में मिग सीरीज के फाइटर जेट का फेज आउट होना है या रिटायर होना है. दुनिया के शक्तिशाली देशों के पास पांचवी पीढ़ी का फाइटर जेट मौजूद है. भारत ने भी इसके लिए काम करना शुरू कर दिया है लेकिन इसमें बहुत ज्यादा समय लगेगा. इसलिए भारतीय वायुसेना वर्तमान परिवेश में इसका विकल्प खोज रही है. इसके साथ ही फाइटर जेट की जरूरतों के लिए किफायती हल भी ढूंढ रही है. वायु सेना की कोशिश है कि नए विमानों के संचालन में कम खर्च हो और क्षमता भी ज्यादा हो. राफेल जेट को भारतीय वायु सेना इसके लिए माकूल मान रही है.

 

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