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जानिये, भारतीय संविधान में पत्रकारिता के अधिकार

स. सम्पादक शिवाकान्त पाठक
वर्तमान समय में मीडिया की अहमियत किसी से छिपी हुई नहीं है। ऐसा कहना अनुचित न होगा की आज हम मीडिया युग में जी रहे है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र और प्रत्येक रंग में मीडिया ने अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया है।

किसी भी लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति या बोलने की आजादी काफी मायने रखती है क्योंकिं यदि आज़ादी बने रहे तो व्यक्तियों के बाकी के अधिकार भी बने रहते है। यदि देखा जाये तो अभिनय,मुद्रित शब्द,बोले गए शब्द और व्यंग्य चित्र आदि के द्वारा मिली अभिव्यक्ति के आज़ादी बाकी के सभी आज़ादियों का मूल है। इसीलिए व्यक्ति की स्वतंत्रता को व्यक्ति का मूल आधार माना गया है। संविधान में मूल रूप से कुल 7 मौलिक अधिकार वर्णित किये थे जिन्हें भाग ३ के अनुच्छेद 12 से 35 तक में विस्तार से बताया गया है।

सन 1976 में 44 वें संविधान संसोधन में सम्पति के अधिकार को मूल अधिकारों में से हटा दिया गया इस प्रकार अब कुल भारतीय नागरिक को कुल ६ अधिकार प्राप्त है :-

समता का अधिकार (अनुच्छेद 14 -18)
स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19)
शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार(अनुच्छेद 29 -30)
संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32-34)
हालाकिं संविधान में प्रेस या मीडिया की स्वतंत्रता का कहीं कोई सीधा उल्लेख नहीं किया गया है।

लेकिन अनुच्छेद 19 में दिए गए स्वतंत्रता के मूल अंधिकार को प्रेस की स्वतंत्रता के समकक्ष माना गया है।

प्रेस की आज़ादी

सर्वोच्च न्यायालय समय-समय पर संविधान के प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए प्रेस की आज़ादी की व्याख्या की है। चूकीं मीडिया ,प्रेस का ही और विस्तारित स्वरुप है इसलिए हम मीडिया की आज़ादी को हम प्रेस की आज़दी के समरूप मान सकते है।

सार्वजनिक मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से बहस,चर्चा,परिचर्चा।
किस भी अमेचर का प्रकाशन और मुद्रण।
किसी भी विचार या वैचारिक मत का मुद्रण और प्रकाशन।
किस भी श्रोत से जनहित की सूचनाएं एवम तथ्य एकत्रित करना।
सरकारी विभागों,सरकारी उपक्रमों सरकारीप्राधिकर्णों और लोकसेवको कार्यों एवम कार्यशैली की समीक्षा करना,उनकी आलोचना करना।
प्रकाशन या प्रकाशन सामग्री का अधिकार अर्थात कौन सी खबर प्रकशित या प्रसारित करनी है।
मीडिया माध्यम का मूल्य/शुल्क निर्धारित करना,माध्यम केप्रचार के लिए नीतितेकरण और अपनी योजनानुसार,सरकारी दबाव से मुक्त रहकर संबंधी गतिविधि चलाना।
यदि किसी कर के प्रसार पर विपरीत प्रभाव पड़ता हो टॉस कर से मुक्ति।
प्रेस की स्वतन्त्रता में पुस्तिकाएं,पत्रक और सूचना के अन्य भी सम्मिलित है।
मीडिया की स्वतंत्रता हमेशा विवाद का रहा है क्योकिं मीडिया पर तो पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगाना उचित नहीं है इस तरह फैसले पर पहुचने के लिए न्यायपालिका ,कानून की युक्तियुक्त जाँच करता है। क्योकि संविधान के अनुच्छेद 19(2) में कहा गया है की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर केवल युक्तियुक्त प्रतिबन्ध ही लगाए जा सकते है। सर्वोच्च न्यायलय ने निम्नलिखित मामलों में मीडिया पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाने को तर्कसंगत ठहराया है।

(1)राष्ट्र की प्रभुता और अखंडता
(2)राज्य की सुरक्षा
(3)विदेशी राज्यों के साथ संबंध
(4)सार्वजनिक व्यवस्था
(5)शिष्टाचार/सदाचार
(6)न्यायालय की अवमानना।
(7)मानहानि।
(8)अपराध को उकसाना

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