Gyanvapi Mosque के अस्तित्व पर सवाल , सुनवाई दस मई को होगी !!
प्रयागराज – वाराणसी के विश्व विख्यात काशी विश्वेश्वर नाथ तथा उसी प्रांगण की Gyanvapi Mosque विवाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट में इन दिनों सुनवाई जारी है। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की कोर्ट में इस प्रकरण में अब अगली सुनवाई दस मई को होगी। हाई कोर्ट में गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान मंदिर पक्ष की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने मस्जिद के अस्तित्व पर सवाल उठाया। उन्होंने कोर्ट में कहा कि काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर को तोड़कर वहां पर मस्जिद बनाई गई है। गुरुवार को जस्टिस प्रकाश पाडिया की कोर्ट में मामले की सुनवाई भोजनावकाश के बाद हुई। अब इस प्रकरण की सुनवाई इसी कोर्ट में आगे भी जारी रहेगी। दस मई को इस मामले में अगली सुनवाई की जाएगी।
जारी रहेगी वीडियोग्राफी :
इससे पहले बीती 26 अप्रैल को वाराणासी में सिविल जज सीनियर डिवीजन ने अपना फैसला सुनाया और निर्देश दिया कि काशी विश्वनाथ मंदिर व ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर सहित अन्य विग्रहों व गानों की वीडियोग्राफी और कमीशन के मामले में अपना फैसला सुनाया। इसमें कोर्ट ने जिला प्रशासन के वीडियोग्राफी से सुरक्षा को खतरा बताते हुए दिए गए प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए यह फैसला दिया गया है कि दस मई के पहले ही वकील कमिश्नर पूरे परिसर की वीडियोग्राफी करके दस तारीख को पूरी रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश करेंगे। इसके साथ ही परिसर क्षेत्र में कमीशन के दौरान अधिवक्ता पक्षकार के साथी वादी पक्षकार भी इस पूरे कार्यवाही में सम्मिलित होंगे। सिविल जज डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने यह फैसला सुनाया है।
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गौरतलब है कि वादी की अर्जी पर पहले अदालत ने अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करते हुए 19 अप्रैल को ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी के आदेश दिए थे लेकिन प्रशासन की तरफ से अर्जी दी गई कि इससे वहां की सुरक्षा भंग होने की आशंका है, जिसके बाद सिविल जज सीनियर डिवीजन ने वीडियोग्राफी और कमीशन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया और 20 अप्रैल को वादी को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया था। बता दें कि श्रृंगार गौरी के प्रतिदिन दर्शन को लेकर राखी सिंह समेत पांच महिलाओं ने कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी, जिस पर कोर्ट ने वकील कमिश्नर द्वारा कमीशन की करवाई करने का फैसला सुनाया था। आठ अप्रैल को अदालत में अधिवक्ता अजय कुमार को वकील कमिश्नर नियुक्त करते हुए ज्ञानवापी परिषद में वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया था जिस पर प्रशासन ने वीडियोग्राफी से सुरक्षा को खतरा बताते हुए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था।