होती है डिटॉक्स की जरूरत मोबाइल(mobile) से दूरी क्यो?
आजकल के लाइफस्टाइल में मोबाइल (mobile) फोन और सोशल मीडिया हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं. लेकिन जानकार इसे हमारा सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं. क्योंकि इसका ज्यादा इस्तेमाल हमें बीमार बना सकता है. दैनिक भास्कर अखबार ने न्यूयॉर्क टाइम्स के हवाले से छापी अपनी न्यूज रिपोर्ट में लिखा है, कि सोशल मीडिया हमारे समय का सबसे बड़ा दुश्मन है. इसका ज्यादा इस्तेमाल हमारे मन को बीमार कर सकता है. अमेरिका की सैन डिएगो स्टेट यूनिवर्सिटीमें मनोविज्ञान के प्रोफेसर जीन त्वेंग के अनुसार, फोन की ब्लू लाइट हमारे दिमाग को रात में भी दिन का अहसास कराती है. वहीं, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रो एडम अल्टर बताते हैं, टेक कंपनियां बिहेवियरल साइकोलॉजी का उपयोग कर फोन ज्यादा यूज करने के लिए बाध्य करती है.
इस रिपोर्ट में जरिए आप भी जानिए. सोशल मीडिया के दौर में हम कैसे मन को हेल्दी रख सकते हैं? इसके आपको डिजिटल डिटॉक्स के ये 4 साइंटिफिक तरीके अपनाने होंगे.
मॉर्निंग- ऑफ द नोटिफिकेशन
कुछ लोग सुबह उठते ही फोन में लग जाते हैं. उन्हें अपने मैसेज, ईमेल या सोशल मीडिया प्रोफाइल चेक करने की आदत होती है, इसलिए सुबह फोन ना उठाएं. इसकी जगह न्यूजपेपर पढ़ें. एक्सरसाइज या वॉक करें. ध्यान लगाएं. नोटिफिकेशंस ऑफ रखें ताकि फोन बार बार आवाज ना करें.
दोपहर- लंच टाइम में नो फोन रूल
लंच में मिला ब्रेक आपको फोकस होने में मदद करता है. पारिवारिक रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए इस समय का यूज करें. परिवार के साथ हैं तो फोन दूर रखें. यदि ऑफिस में लंच कर रहे हैं, तो किसी कलीग के साथ लंच करें. मोबाइल को न उठाने का ये नियम दोनों पर लागू करें.
शाम- को फोन का फ्लाइट मोड ऑन
शाम के समय ईवनिंग वॉक पर जरूर जाएं. बच्चों के साथ खेलें. बच्चों के साथ रहना सबसे कीमती समय है. इस समय मोबाइल का यूज ना करें. हां, यदि फोटो खींचने के लिए फोन साथ रखना चाहते हैं तो इसे फ्लाइट मोड पर रखें.
रात- ऑडिबल एप्स का यूज करें
सोने से एक घंटा पहले स्क्रिन का यूज बंद कर दें. मतलब आप फोन की स्क्रिन के सामने नहीं होने चाहिए. फिर भी अगर आपको फोन साथ रखने की आदत है, तो ऑडिबल एप्स का इस्तेमाल करें. गाने सुनिए, कहानियां सुनिए, इससे आप एंटरटेनमेंट भी कर पाएंगे और साथ ही फोन की ब्लू लाइट से भी दूर रह पाएंगे. सोने से पहले फोन दूसरे कमरे में जरूर रख दें.
क्यों होती है डिटॉक्स की जरूरत
अगर आपको थोड़ी देर भी फोन के न मिलने पर बेचैनी और तनाव होने लगे, अगर आप कुछ मिनट केबाद ही फोन चेक करने के लिए बाध्य हो जाएं. सोशल मीडिया के यूज के बाद आपको बेचैनी, निराशा और अवसाद महसूस होने लगे. या फोन चेक नहीं करने पर पिछड़ने का डर सताए, तो समझिए कि आपको डिजिटल डिटॉक्स की जरूरत है.
सोने से पहले फोन से दूरी
सोते समय सोशल मीडिया का यूज करने से नींद की समस्या बढती है. जर्नल एप्लाइड रिसर्च इन क्वालिटी ऑफ लाइफ की रिसर्च बताती है कि इंटरनेट और मोबाइल के अधिक यूज से काम का तनाव और ओवर वर्क की फीलिंग बढ़ती है. जॉब सेटिस्फेक्शन घटता है.