Uniform Civil Code : डिप्टी सीएम केशव बोले: अब इसकी जरूरत, जाने पूरी खबर
लखनऊ। Uniform Civil Code : डिप्टी सीएम केशव बोले: अब इसकी जरूरत, जाने पूरी खबर ! योगी सरकार उत्तर प्रदेश में दोबारा सत्ता में आने के बाद अब प्रदेश में यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि देश को अब इसकी जरूरत है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अब समय की जरूरत है कि पूरे देश में एक कानून लागू किया जाए। पहले की सरकारों ने तुष्टिकरण की राजनीति के कारण इस पर ध्यान नहीं दिया। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को समान नागरिक संहिता की मांग करनी चाहिए और उसका स्वागत करना चाहिए।
एक देश एक कानून: यूपी में यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने की तैयारी में योगी सरकार
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार इस दिशा में विचार कर रही है और यह यूपी और देश की जनता के लिए आवश्यक है और भाजपा के प्रमुख वादों में भी एक है। केशव प्रसाद मौर्य का मानना है कि सभी को समान नागरिक संहिता यानी कामन सिविल कोड की मांग करने के साथ ही इसका स्वागत भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार भी इस दिशा में सोच रही है। हम इसके पक्ष में हैं और यह उत्तर प्रदेश और देश के लोगों के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि समान नागरित संहिता भाजपा के मुख्य वादों में से एक है।
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भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह शुक्रवार को भोपाल में थे। वहां पर उन्होंने संकेत दिया था कि देश में जल्द ही कामन सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) लागू हो सकती है। भोपाल में भाजपा के पार्टी कार्यालय में उन्होंने कोर कमेटी की मीटिंग में कहा कि अयोध्या का राम मंदिर, अनुच्छेद 370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों के फैसले हो गए हैं। अब बारी कामन सिविल कोड की है। उन्होंने कहा उत्तराखंड में कामन सिविल कोड पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जा रहा है। ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है।
क्या है कामन सिविल कोड
इसके लागू होने से देश में शादी, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेने जैसे सामाजिक मुद्दे एक समान कानून के अंतर्गत आ जाएंगे। धर्म के आधार पर कोई कोर्ट या अलग व्यवस्था नहीं होगी। संविधान का अनुच्छेद 44 इसे बनाने की शक्ति देता है। इसे केवल केन्द्र सरकार संसद के जरिये ही लागू कर सकती है।
Uniform Civil Code : कब शुरू हुई समान नागरिक संहिता की मांग
देश की आजादी से पहले हिंदु और मुस्लिमों के लिए अलग कानून लागू किए गए थे। सबसे पहले महिलाएं इसके खिलाफ खड़ी हुईं। इसके बाद भाजपा ने इसे अपने तीन मुख्य मुद्दे में शामिल किया। 2014 के लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भी यह मुद्दा शामिल था।