chief election commissioner ने संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर दिया जोर?
नई दिल्ली। chief election commissioner ने संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर दिया जोर? देश के मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने संसद में लिंग अनुपात की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की है। संसद रत्न पुरस्कार-2022 प्रदान करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में चंद्रा ने बताया कि जब देश में पहली लोकसभा का गठन हुआ था तब महिला सांसदों की संख्या महज 15 थी। जो कि अब 17वीं लोकसभा में बढ़कर 78 हो गई है। उन्होंने कहा कि संसद में महिलाओं की भागीदारी अपेक्षा के मुताबिक बहुत कम है।
chief election commissioner कहा: तभी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे नारे होंगे सार्थक
एक अच्छी विधायिका में विविध आवाजें शामिल होनी चाहिए, खासकर उन लोगों की जो पहले हाशिए पर थे। चंद्रा ने बताया कि अंतर संसदीय संघ द्वारा संकलित आंकड़ों के मुताबिक, पहली बार साल 2021 में संसद में महिलाओं का वैश्विक औसत 25 फीसदी से अधिक दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि संख्या में बढ़ोतरी की यह गति बहुत धीमी है। इस दर से लैंगिक समानता हासिल करने में 50 साल से भी ज्यादा का वक्त लगेगा। चंद्रा ने बताया कि संविधान स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की गारंटी देता है।
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साथ ही उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि कई जमीनी स्तर की महिला नेताओं ने अपने बेहतरीन नेतृत्व का प्रदर्शन किया है और अपने समुदायों में स्पष्ट परिवर्तन लाई हैं। महाराष्ट्र से राकांपा पार्टी की राज्यसभा सांसद फौजिया तहसीन अहमद खान ने राज्य सभा – उत्कृष्टता पुरस्कार – मौजूदा सांसद – महिला सांसद का पुरस्कार जीता है। उन्होंने गहरा खेद व्यक्त किया कि आजादी के बाद से भारत में महिला सांसदों की संख्या में बहुत कम बढ़ोतरी हुई है।
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उन्होंने लैटिन अमेरिकी देशों और रवांडा के उदाहरणों का हवाला देते हुए बताया कि वहां 2/3 महिला सांसद हैं। जबकि विश्व के 53 देश ऐसे हैं जिनमें 50 फीसदी महिलाओं की भागीदारी है। राज्यसभा सांसद फौजिया तहसीन अहमद खान ने महिला आरक्षण के लिए आवाज उठाते हुए मोदी सरकार से इसे लागू करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सरकार बहुमत में हैं, महिला आरक्षण के लिए आपको बिल लाना चाहिए। तभी बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे नारों का कोई सार्थक अर्थ होगा।