ईस्टर धर्म का 40 दिनों का यह उपवास राख बुधवार से शुरू !!
ईसाई धर्म का राख बुधवार के साथ लेंट बुधवार से शुरू हो गया. 40 दिनों का यह उपवास राख बुधवार से शुरू होकर ‘गुड फ्राइडे’ पर खत्म होता है. राख बुधवार चालीसा काल की शुरुआत का प्रतीक है और हमेशा हर साल, ईस्टर रविवार से 46 दिन पहले पड़ता है. राख बुधवार के दिन से ईसाई लोग समुदायिक और व्यक्तिगत दोनों माध्यमों से, पश्चाताप और प्रार्थना पर ध्यान केंद्रित करके चालीसा की शुरुआत करते हैं. 40-दिन की अवधि निर्जन सथान में येषु मसीह के प्रलोभन के समय का प्रतिनिधित्व करती है, जहां उन्होने उपवास किया था और शैतान ने उनकी परीक्षा ली थी.
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पवित्र मिस्सा के दौरान पुरोहित आमतौर पर एक धर्मोपदेश साझा करते हैं जो मुख्य रूप से पश्चाताप और मननृ चिंतन पर आधारित होता है. उसके बाद, लोकधर्मियों को उनके माथे पर राख लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है. आमतौर पर पुरोहित या पादरी अपनी उंगली को राख में डुबोते हैं, लोकर्ध्मियों के माथे पर एक क्रूस का निषान बनाकर कहते हैं, ‘‘तू मिट्टी से आया है और मिट्टी में लौट जायेगा.’ जब हम अपने माथे पर राख लेते हैं, तो हमें याद आता है कि हम पृथ्वी के नश्वर प्राणी हैं. हम याद करते है कि हम लोग मन परिवर्तन की यात्रा पर हैं और मसीह के शरीर के सदस्य हैं.
खजूर की डालियों जलाकर तैयार की जाती है राख
जिस राख को माथे पर लगाया जाता है वह पिछले पाम संडे में उपयोग की गई खजूर की डालियों को जलाकर तैयार की जाती है. पाम संडे पर्व के दिन, चर्च में खजूर की शाखाओं को आषीषित करते हैं और उपस्थित लोगों को उसकी शाखाएं देकर प्रतीकात्मक शोभा यात्रा निकाली जाती है. यह पर्व येसु के जेरूसलेम शहर में विजयी प्रवेश के सुसमाचार के संदर्भ को इंगित करता है, जब लोगों ने खजूर की डालियां लहराकर उनका स्वागत किया था.
राख दो मुख्य चीजों का है प्रतीक
राख दो मुख्य चीजों का प्रतीक हैः मृत्यु और पश्चाताप. बाईबिल के वचन अनुसार ‘राख धूल के बराबर है, और मानव देह धूल या मिट्टी से बनी है और जब एक मानव शव विघटित हो जाता है, तो वह धूल या राख में बदल जाता है.’ ‘जब हम राख बुधवार के दिन राख माथे पर ग्रहण करते हैं, तो हम कह रहे होते हैं कि हमें अपने पापों के लिए खेद है, और हम अपने दोषों को ठीक करने, अपने दिलों को शुद्ध करने, अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करने और पवित्रता के साथ आगे बढ़ने के लिए चालीसा काल का उपयोग करना चाहते हैं, जिससे कि हम ईस्टर को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाने के लिए अपने आप को तैयार कर सकें.’