बिजलीकर्मियों ने पूर्वांचल निगम के निजीकरण का प्रस्ताव रद्द करने की मांग की
लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव रद्द करने की मांग की है। साथ ही ऊर्जा निगमों के बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं को विश्वास में लेकर बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण में चल रहे सुधार के कार्यक्रम सार्वजनिक क्षेत्र में ही जारी रखे जाये, जिससे आम जनता को सस्ती और गुणवत्ता परक बिजली मिल सके। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने शनिवार को कहा कि पांच अप्रैल 2018 को ऊर्जा मंत्री की उपस्थिति में पॉवर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने संघर्ष समिति से लिखित समझौता किया है कि प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र में कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। ऐसे में अब निजीकरण की बात करना समझौते का खुला उल्लंघन है। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि ऊर्जा निगमों में कही भी निजीकरण करने की कोशिश हुई तो इसका विरोध किया जाएगा। संघर्ष समिति के सदस्य प्रभात सिंह व जीवी पटेल ने कहा है कि नौकरशाही के दबाव में किया गया बिजली बोर्ड का विघटन और निगमीकरण पूरी तरह विफल रहा है। वर्ष 2000 में बिजली बोर्ड के विघटन के समय मात्र 77 करोड़ रुपये का सालाना घाटा था, जो अब 95,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। इसके बावजूद निगमीकरण पर पुनर्विचार करने के बजाये प्रबन्धन निजीकरण का प्रस्ताव देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाहता है जिससे बिजली कर्मियों में भारी रोष है।