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क्या  भूलने की बीमारी को वियाग्रा से ठीक किया जा सकता है

नई दिल्ली. वियाग्रा का नाम सुनते ही वयस्क लोगों के दिमाग में सेक्स शब्द दौड़ने लगता है. हालांकि यह यौन शिथिलता की बीमारी इरेक्टाइल डिसफंक्शन के इलाज में काम आती है लेकिन इसका इस्तेमाल यौन उत्तेजना बढ़ाने में भी किया जाता है. इधर कुछ रिसर्च में इस बात की संभावना तलाश की जा रही है कि क्या वियाग्रा से कुछ अन्य बीमारियों का इलाज किया जा सकता है. इसी कड़ी में अल्जाइमर एंड डिमेंशिया जर्नल में एक रिपोर्ट प्रकाशित किया गया है जिसमें वैज्ञानिकों ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि क्या वियाग्रा दवा के असर से बुजुर्गों के दिमाग में ब्लड फ्लो बढ़ाया जा सकता है. दरअसल, बुजुर्गों के दिमाग में पहुंचने वाली आर्टरी या धमनियां बहुत पतली हो जाती है जिसे भूलने की बीमारी वैस्कुलर डिमेंशिया हो जाती है. वैज्ञानिकों को इस दिशा में सकारात्मक परिणाम मिला है.

वियाग्रा में सिल्डेनाफिल कंपाउड रहता है जो भारत में इरेएक्टा, विगोरा, इडेग्रा, सुहाग्रा, मैनफोर्स आदि ब्रांड नाम से बिकते हैं. बियाग्रा के अन्य बीमारियों पर असर को लेकर कई सालों से रिसर्च चल रही है. चूंकि वियाग्रा की दवा यौन अंगों के आसपास खून के बहाव को तेज करती है, इसलिए माना जाता है कि खून का बहाव शरीर के अन्य अंगों पर भी असर कर सकता है.
सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी के जेर्मी इसाक ने बताया कि बुजुर्गों के दिमाग में पहुंचने वाली धमनियां पतली हो जाती है जिसके कारण अधिकांश बुजुर्गों में याददाश्त की शक्ति कमजोर हो जाती है. वर्तमान में इसे ठीक करने की कोई तकनीकी नहीं है. अध्ययन में वियाग्रा के असर को देखने के लिए एक प्रयोग किया गया. कुछ लोगों को वियाग्रा की दवाई दी गई. इनका वियाग्रा लेने से पहले और वियाग्रा लेने के एक सप्ताह बाद एमआरआई किया गया.

वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों को इसी तरह की मन को बहलाने वाली दवाई प्लेसिबो दी गई. हालांकि एमआरआई में यह साबित नहीं हो सका कि वियाग्रा के सिंगल डोज लेने के बाद व्यक्ति के दिमाग में ब्लड फ्लो तेज हुआ है. लेकिन जब यही प्रयोग 70 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों पर किया गया तो नतीजा चौंकाने वाला आया. एमआरआई के बाद इनके दिमाग के ग्रे मैटर में ब्लड का फ्लो तेजी से बढ़ता हुआ देखा गया.इससे पहले भी नेचर एजिंग जर्नल में छपी एक रिपोर्ट में इंश्योरेंस डाटा के आधार पर पाया गया कि जिन लोगों ने सिल्डेनाफिल ने दवा ली थी उनमें डिमेंशिया होने की आशंका 69 प्रतिशत तक कम रही. 2020 में जर्नल ऑफ अल्जाइमर डिजीज के मुताबिक सिल्डेनाफिल के इस्तेमाल से दिमाग के नर्व टिशू का ग्रोथ बढ़िया होता है और कोशिकाओं में सूजन बनने का जोखिम कम हो जाता है. ये दोनों चीजें डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी का जोखिम बढ़ा देती हैं. न्यूयॉर्क में लेनॉक्स हिल हॉस्पीटल के डॉक्टर लेन होरोविज ने बताया, सिल्डेनाफिल या इरेक्टाइल डिसफंक्शन की अन्य दवाइयां दिमाग के लिए फायदेमंद है क्योंकि यह दिमाग में ब्लड फ्लो को बढ़ाने में मदद करती है.

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