सुप्रीम कोर्ट में हिजाब को लेकर एक नई याचिका, जाने याचिका में क्या कहा

नई दिल्ली। कर्नाटक के हिजाब विवाद को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को एक नई जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें शीर्ष कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह केंद्र व राज्य सरकारों को स्टाफ व विद्यार्थियों के लिए कामन ड्रेस कोड लागू करने का निर्देश दें। इससे देश में समानता व राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। शुक्रवार को इस मामले से संबंधित अन्य याचिकाओं का सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उल्लेख कर तत्काल सुनवाई का आग्रह किया गया था।
हिजाब विवाद में नई याचिकाः सुप्रीम कोर्ट से कामन ड्रेस कोड की मांग
इस पर शीर्ष अदालत ने मामला कर्नाटक हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ के विचाराधीन होने की बात कहते हुए कहा था। कि वह ‘उपयुक्त समय’ पर दखल देगी और देश के हर नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगी। हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कर्नाटक सरकार से शिक्षा संस्थान फिर खोलने को कहा है। इसके साथ ही विद्यार्थियों से कहा गया है कि वे उन शिक्षा संस्थानों व कक्षाओं में धार्मिक पहचान वाले वस्त्र न पहनें, जहां ड्रेस कोड लागू है। हाईकोर्ट मामले में 14 फरवरी को आगे सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका निखिल उपाध्याय ने वकील अश्विनी उपाध्याय व अश्विनी दुबे के माध्यम से दायर की है।
समानता व राष्ट्रीय एकता का दिया हवाला
इसमें शीर्ष कोर्ट से यह भी मांग की गई है कि वह केंद्र को एक न्यायिक आयोग या विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्देश जो विद्यार्थियों में सामाजिक व आर्थिक न्याय के मूल्य, समाजवादी धर्मनिरपेक्षता व लोकतंत्र, भातृत्व, गरिमा व राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के उपाय करने के सुझाव दे। याचिका में यह भी कहा गया है कि चूंकि शीर्ष अदालत संविधान की अभिरक्षक और मूल अधिकारों की संरक्षक है, इसलिए वह विधि आयोग को निर्देश दे कि वह तीन माह में एक रिपोर्ट तैयार करें।
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जिसमें देश में बंधुत्व, समानता, सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय पर सुझाव हो। केंद्र व राज्य सरकारों के साथ ही याचिका में विधि आयोग को भी एक पक्षकार बनाया गया है। हिजाब विवाद को लेकर याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट सभी पंजीबद्ध व मान्यता प्राप्त संस्थानों व शिक्षा संस्थानों में कामन ड्रेस कोड लागू करने का निर्देश दे, ताकि समानता का दर्जा सुरक्षित किया जा सके। हिजाब विवाद को लेकर 10 फरवरी को दिल्ली में हुए प्रदर्शनों का भी याचिका में जिक्र किया गया है।