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गरीब परिवार के लिए घर बनवाने की मुहिम के साथ निकले दो दोस्त

केरल में एक जगह है, वायनाड नए पर गौर करते हैं. दो दोस्तों का, जिन्होंने वायनाड को फिर सुर्खियों में ला दिया है. ये साइकिल से घूम-घूमकर लोगों को संदेश दे रहे हैं कि बस, ‘1 रुपया… ये किसी की जिंदगी बदल सकता है.’

इन दो दोस्तों में एक का नाम है, रेनीश टीआर और दूसरे का केजी निगिन. दोनों की उम्र 32 साल के आसपास. दोनों ने करीब 60 दिन पहले वायनाड से साइकिल यात्रा शुरू की थी. इसका मकसद, 5 गरीब परिवारों के लिए पक्के मकान बनवाकर देना. इसके लिए धन जुटाना. अब तक दोनों पहाड़ी इलाकों को पार करते हुए करीब 360 किलोमीटर की साइकिल यात्रा पूरी कर चुके हैं. लगभग 2 लाख रुपये उन्होंने जुटा लिए. इसके जरिए पांचों मकानों की नींव खोदने का काम भी शुरू हो चुका है. मतलब, एक तरफ साइकिल यात्रा जारी है. दूसरी तरफ, मकानों का निर्माण भी.

आगे की कहानी इन्हीं से जानते हैं. लेकिन इससे पहले, इन दोस्तों के बारे में एक-दो बातें और. इनमें से रेनीश अंबलावयल गांव में एक मोबाइल की दुकान में काम करते हैं. सेल्सपर्सन हैं. जबकि निगिन शारीरिक शिक्षा के अध्यापक हैं. सुल्तान बैथरी नाम की एक जगह है, वहां पर. दूसरी बात, इन्होंने जो 5 मकान बनवाने शुरू किए हैं, उनमें रहेगा कौन, ये अभी तय नहीं है. बस, अपनी जमा रकम से दोनों ने पहले जमीन खरीद ली. फिर साइकिल-यात्रा शुरू कर आगे की कार्रवाई

रेनीश बताते हैं, ‘यह काम शुरू करने से पहले बाकायदा पहले पूरी मुकम्मल योजना बनाई. इसमें तय किया कि जैसे-जैसे पैसा आता जाएगा मकानों के निर्माण का काम भी साथ-साथ चलता रहेगा. जैसे ही मकानों का निर्माण पूरा होगा, हम यात्रा रोक देंगे.’ फिर निगिन इस यात्रा के ध्येय-वाक्य के बारे में बताते हैं, ‘हां, हमने तय किया है कि सिर्फ 1 रुपया मांगेंगे. सबसे कहेंगे- 1 रुपया दान कीजिए और किसी की जिंदगी बदलिए. ये रकम ऐसी है, जो हम किसी गरीब से भी मांग सकते हैं और अमीर से भी. इसीलिए बस, इतनी रकम ही मांगने का फैसला किया.’ दोनों बताते हैं, ‘हम जो मकान बनवा रहे हैं, उनमें रहने वाले गरीब जरूरतमंद परिवारों की पहचान और चयन यात्रा के दौरान ही करेंगे. बहुत संभावना है कि ये परिवार केरल की ही किसी जगह से होंगे. क्योंकि दूसरे राज्यों के किन्हीं परिवारों को वायनाड लाकर बसाना मुश्किल होगा.’

रेनीश और निगिन के मुताबिक, ‘हमारी दोस्ती करीब 12 साल पहले हुई. निगिन हमारी दुकान पर मोबाइल रिचार्ज कराने आए थे. फिर हमारी रोज बात-मुलाकात होने लगी. हम मिलकर जरूरतमंदों की जैसे भी बन पड़ी, मदद करने लगे. तभी हमारे दिमाग में उन्हें घर बनवाकर देने का विचार आया. क्योंकि हमने देखा कि अब भी बहुत से लोगों के सिर पर छत नहीं है. हमने इस बारे में एक और परिचित जोशी से बात की. उन्हें हमारा मकसद अच्छा लगा. उन्होंने हमें अपनी जमीन दी. डिस्काउंट के साथ 7 लाख रुपए में. इसी तरह हमारी मित्र दुर्गा और निगिन की दुकान के मालिक सैफुद्दीन भी मदद कर रहे हैं. वे दोनों जमीन मकानों के निर्माण काम देख रहे हैं.’

रेनीश और निगिन बताते हैं, ‘हमने अंबलावयल गांव से बीते साल 10 दिसंबर को यात्रा शुरू की थी. जेब में सिर्फ 200 रुपये थे. एक गैस सिलेंडर, ताकि बीच में भूख लगे तो कुछ पका सकें. टेंट, कहीं भी गाड़कर सोने के लिए. और एक सौरऊर्जा वाली बैटरी, मोबाइल चार्ज करने के लिए. बस, इतनी चीजें लेकर चले. शुरू में, हमें टेंट में ही सोना पड़ा. लेकिन अब जैसे-जैसे लोग जान रहे हैं, हमें कहीं रहने की जगह भी मिल जाती है. खाने-पीने का इंतजाम भी लोग कर देते हैं. हमें करीब 30 लाख रुपये जुटाने हैं क्योंकि 600 वर्गफीट के दो बेडरूम-किचन वाले एक मकान के निर्माण पर लगभग 6 लाख रुपये का खर्च आने वाला है. इसके लिए हमने 2 साल का वक्त रखा है. इतने वक्त में अगर हम 5 लोगों को भी छत मुहैया करा पाए तो हमारे लिए बहुत है.’

एक बच्चे ने गुल्लक फोड़कर दिए 1,116 रुपये और राहुल गांधी ने ‘प्रशंसा पत्र’
रास्ते में अब तक मिली दो उपलब्धियों के बारे में भी रेनीश और निगिन बताते हैं, ‘जब हम राजापुरम पहुंचे तो वहां हमें एक चौथी कक्षा का बच्चा मिला. निविन रॉनी नाम है उसका. उसे जब हमारे काम के बारे में पता चला तो उसने अपनी गुल्लक फोड़कर उसमें जमा किए पूरे पैसे हमें दे दिए. हमने गिने तो ये 1,116 रुपये थे. इसी तरह, जब हम वायनाड पहुंचे तो हमें स्थानीय सांसद राहुल गांधी का प्रशंसा-पत्र मिला. कासरगोड के सांसद राजमोहन उन्नीथन ने हमें यह पत्र दिया. इसमें राहुल गांधी ने लिखा है- ‘मुझे खुशी है कि आप गरीबों के लिए मकान बनाने के मकसद से धन जुटा रहे हैं. आपका काम प्रशंसनीय और दूसरों के प्रेरणादायक भी… मैं कामना करता हूं कि आपकी यात्रा सुरक्षित रहे और उद्देश्य पूर्ण हो.’

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