दो दिनों का राष्ट्रीय शोक किसके आदेश पर हुआ लता मंगेशकर के निधन पर
लता मंगेशकर देश की बहुत गणमान्य शख्सियत थीं. वो किसी सरकार के शीर्ष पद से नहीं जुड़ी थीं. फिर भी उनके निधन पर राष्ट्रीय शोक का फैसला कैसे किया गया. कौन ऐसे फैसले ले सकता है और इस दौरान क्या होता है.
सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर के निधन के बाद पूरा देश इस शोक में गमगीन हो गया. इसके बाद सरकार ने दो दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया. लता ना तो सरकार के किसी पद पर थीं और ना ही सरकार से जुड़ी कोई हस्ती थीं. इस पर भी उनके निधन पर राष्ट्रीय शोक क्या हुआ. इसका आदेश कौन दे सकता है. जिसके बाद पूरे देश में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया.
जब भी राष्ट्रीय शोक घोषित होता है, तब राष्ट्रध्वज आधा झुका दिया जाता है. कुछ तय पदों पर राष्ट्रीय शोक का नियम तो संविधान में दर्ज है लेकिन उसके अलावा अगर किसी अन्य शख्सियत का निधन होता है तो इस अवसर पर राष्ट्रीय शोक मनाया जाए या नहीं, इसका फैसला करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास होता है.
लिहाजा लता मंगेशकर के निधन पर दो दिनों के राष्ट्रीय शोक का फैसला राष्ट्रपति था, जिन्होंने इस पर मुहर लगाई. इसके बाद सरकार की ओर से इसकी घोषणा की गई. वैसे लताजी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है.
भारत के फ्लैग कोड के अनुसार, “गणमान्य लोगों की मृत्यु के बाद राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है. राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाने का प्रोटोकॉल नियमानुसार भी देश के बाहर भारत के दूतावासों और उच्चायोगों पर लागू होता है.
राजकीय शोक में राजकीय अंत्येष्टि का आयोजन किया जाता है, उसके पार्थिव शरीर पर तिरंगे से ढंका जाता है. गणमान्य व्यक्ति को बंदूकों की सलामी दी जाती है. साथ ही सार्वजनिक छुट्टी की भी घोषणा की जा सकती है. जिस ताबूत में गणमान्य व्यक्ति के शव को ले जाया जा रहा होता है उसे तिरंगे में लपेटा जाता है.
पहले यह घोषणा केवल केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही कर सकता था लेकिन हाल में बदले हुए नियमों के मुताबिक अब राज्यों को भी यह अधिकार दिया जा चुका है और वे तय कर सकते हैं कि किसे राजकीय सम्मान देना है और किसे नहीं.
जैसा केंद्र सरकार के 1997 के नोटिफिकेशन में कहा गया है राजकीय शवयात्रा के दौरान भी कोई सार्वजनिक छुट्टी जरूरी नहीं. इसके अनुसार अनिवार्य सार्वजनिक छुट्टी को राष्ट्रीय शोक के दौरान खत्म कर दिया गया है. केवल इसी हालत में छुट्टी की घोषणा होती है जब किसी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की पद पर रहते हुए मौत हो जाती है.
लेकिन अक्सर पद पर न रहने वाले गणमान्य लोगों की मृत्यु के बाद भी सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी जाती है क्योंकि इसका अंतिम अधिकार राष्ट्रपति के ही हाथों में है. इसके अलावा राज्य भी छुट्टी की घोषणा करते रहते हैं.
जब भी ऐसा किया जाता है तो पहले झंडे को पूरी ऊंचाई में ऊपर उठाया जाता है और फिर धीरे-धीरे नीचे लाते हुए आधा झुकाया जाता है. आपको बता दें कि इस दौरान सिर्फ तिरंगा को ही आधा झुकाया जाता है. इसके अलावा अगर कहीं पर राष्ट्रीय ध्वज के साथ किसी संस्था का फ्लैग है तो वह सामान्य ऊंचाई पर ही रहता है. इसे नहीं झुकाया जाता है.
खास बात है कि अगर किसी विशिष्ट शख्सियत का निधन गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), गांधी जयंती (2 अक्टूबर) या राजकीय अवकाश के दिन होता है तो देश या राज्य में राष्ट्रीय ध्वज को झुकाया नहीं जाता है, बल्कि केवल उस इमारत पर स्थित राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है, जिस इमारत में उस विशिष्ट व्यक्ति का पार्थिव शरीर रखा होता है.