जीएसटी को लेकर हो सकती है ये बड़ी घोषणा ?

नई दिल्ली : आज से संसद का बजट सत्र शुरू हो गया है. आज राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद कल यानि 1 फरवरी 2022 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में केंद्रीय बजट पेश करेंगी. कहा जा रहा है कि इस बार के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जीएसटी को लेकर एक बड़ा ऐलान कर सकती हैं, जिसमें जीएसटी ट्रिब्यूनल बनाने का प्रस्ताव शामिल है. वस्तु और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) के निर्माण से अप्रत्यक्ष कर मुकदमों के शीघ्र समाधान हो सकेगा, क्योंकि मौजूदा वक्त में जीएसटी का कोई अलग ट्रिब्यूनल ना होने के कारण करदाताओं को उच्च न्यायालयों में याचिका दाखिल करने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जोकि महंगा और काफी वक्त लेने वाला होता है.
सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय बजट 2022 में सरकार का ध्यान अनुपालन बोझ को कम करने, मुकदमेबाजी जल्द हल करने और व्यापारियों के जीवन को आसान बनाने पर केंद्रित रहेगा करेगी, लिहाजा इसकी के अनुरूप सरकार जीएसटी ट्रिब्यूनल के लिए ऐलान कर सकती है.
सीजीएसटी अधिनियम की धारा 109 केंद्र को एक अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन करने का अधिकार देती है. उक्त धारा सरकार को शक्ति प्रदान करती है कि वह परिषद की सिफारिश पर अधिसूचना जारी करेगी और सिफारिश में विनिर्दिष्ट तारीख से प्रभावी बनाते हुए वस्तु एवं सेवा कर अपील के रूप में पारित किए गए आदेशों के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई करेगा. सार्वजनिक मंच होने के कारण न्यायाधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि जीएसटी के अंतर्गत उत्पन्न विवादों के समाधान में एकरूपता आए और इस प्रकार समूचे देश में जीएसटी को समान रूप से कार्यान्वित किया जा सकेगा.
बता दें कि वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दायर कर केंद्र को जीएसटी ट्रिब्यूनल गठित करने का निर्देश देने की मांग की थी. उन्होंने अर्जी में कहा था कि 2016 में जीएसटी विधेयक संसद के दोनों सदनों में पारित हुआ और 1 जुलाई से केंद्रीय वस्तु एवं सेवा अधिनियम, 2017 (जीएसटी) लागू हुआ. अधिनियम की धारा 109 एक जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के गठन को अनिवार्य करती है, जो अधिनियम के अस्तित्व में आने के 4 साल बाद भी गठित नहीं हुआ. याचिका में कहा गया कि “सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 109 के तहत अपीलीय न्यायाधिकरण की राष्ट्रीय और अन्य पीठों का गठन समय की बेहद जरूरत है और प्रतिवादी अनिश्चितकाल के लिए इसके गठन को खींच नहीं सकते हैं.”
सुप्रीम कोर्ट ने अमित साहनी की इस याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन करने को कहा, जो अधिनियम के लागू होने के 4 साल बाद भी गठित नहीं हुआ. जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजीएसटी ट्रिब्यूनल की स्थापना की मांग वाली इस याचिका में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा, तो भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने मौखिक रूप से उनसे कहा, “सीजीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन नहीं किया गया है. वह भी एक मुद्दा है. काउंटर दाखिल करने का कोई सवाल ही नहीं है. आपको ट्रिब्यूनल का गठन करना है, बस इतना ही.”
उधर, व्यापारी नेता एवं कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने न्यूज18 हिंदी (डिजिटल) से बातचीत में कहा कि जीएसटी ट्रिब्यूनल बन जाने से शिकायतों, मुद्दों का जल्द समाधान होने में आसानी मिलेगी. कोई भी इश्यू आने पर संबंधित अथॉरिटी हमारे ऊपर जुर्माना, इंट्रेस्ट लगा देती है, ऐसे में पहली अपील ट्रिब्यूनल में आने से संबंधित मामले सस्ते में और जल्द निपट जाएंगे. उन्होंने कहा कि ट्रिब्यूनल के आ जाने से व्यापारियों को बहुत लाभ होगा. व्यापारी वर्ग भी GST ट्रिब्यूनल की मांग पिछले तीन सालों से कर रहा है.