कुशीनगर में भी खत्म हुई प्रतिद्वंद्विता;

गोरखपुर। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा से लेकर सपा, बसपा और कांग्रेस तक ने नए प्रत्याशियों पर टिकट का दांव खेला है। इसके चलते बहुत सी विधानसभा सीटों पर पारंपरिक प्रतिद्वंद्विता किनारे लग गई है। अभी तक गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों में से जिन सीटों इसे लेकर स्थिति स्पष्ट है, उनकी संख्या 17 है। गोरखपुर जिले की नौ में से सर्वाधिक छह सीटों पर प्रतिद्वद्वियों का नया समीकरण बन गया है। इसी तरह देवरिया में चार, कुशीनगर में तीन और बस्ती में दो सीटों पर किसी न किसी दल द्वारा प्रत्याशी बदलने से पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी नहीं देखने को मिलेंगे। संतकबीर नगर में तो सभी तीन सीटों पर पुरानी प्रतिद्वंद्विता देखने को नहीं मिलेगी।
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गोरखपुर में भी बदला समीकरण
शहर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सहजनवां से प्रदीप शुक्ला और खजनी से श्रीराम चौहान को प्रत्याशी घोषित कर भाजपा ने इन सीटों पर पारंपरिक नामों की प्रतिद्वंद्विता पर विराम लगाया है तो कैंपिंयरगंज से सपा ने काजल निषाद, बांसगांव से सपा डा. संजय कुमार, पिपराइच से पिछली बार दूसरे स्थान पर रहे आफताब आलम ने क्षेत्र बदलकर नया समीकरण बनाया है।
कुशीनगर में भी खत्म हुई प्रतिद्वंद्विता
कुशीनगर जिले की कुशीनगर, हाटा और फाजिलनगर सीट पर भाजपा के प्रत्याशी बदलने के कारण पिछले चुनाव की प्रतिद्वंद्विता देखने को नहीं मिलेगी। कुशीनगर से विधायक रजनीकांत मणि, हाटा से विधायक पवन केडिया और फाजिल नगर में गंगा सिंह कुशवाहा का टिकट कटने से ऐसा हुआ है। हालांकि गंगा सिंह कुशवाहा की जगह सुरेंद्र कुशवाहा को पार्टी ने टिकट दिया लेकिन प्रत्याशी का नाम बदलने से इस सीट को भी प्रतिद्वंद्विता बदलने वाली सूची में शामिल किया जा सकता है।
देवरिया, बस्ती में भी नए प्रत्याशी
देवरिया जिले में पथरदेवा, रामपुर कारखाना, बरहज और देवरिया सीट पर नए प्रत्याशी होने से पुराना समीकरण देखने को नहीं मिलेगा। बस्ती की कप्तानगंज सीट से राम प्रसाद चौधरी की जगह सपा ने अतुल चौधरी को टिकट दिया है। ऐसे में यहां भी लड़ाई में पिछले चुनाव के नाम देखने को नहीं मिलेंगे। संतकबीर नगर के मेंहदावल में पिछली बार दूसरे नंबर पर रहे बसपा प्रत्याशी अनिल त्रिपाठी के भाजपा में शामिल हो जाने से यह तय हो गया है कि वहां भी लोगों को प्रतिद्वंद्विता बदली मिलेगी।