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भारत और मध्य एशिया समिट देशों के कूटनीतिक संबंधों ने 30 सार्थक वर्ष पूरे, मोदी ने क्या कहा

नई दिल्ली। भारत और मध्य एशिया समिट की पहली बैठक में वर्चुअली हिस्सा लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और मध्य एशिया देशों के कूटनीतिक संबंधों ने 30 सार्थक वर्ष पूरे कर लिए हैं।

भारत की तरफ से मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि मध्य एशिया एक एकीकृत और स्थिर विस्तारित पड़ोस के भारत के दृष्टिकोण का केंद्र है। दूसरा उद्देश्य हमारे सहयोग को एक प्रभावी ढांचा देना है।

पिछले तीन दशकों में हमारे सहयोगियों ने कई सफलताएं हासिल की हैं। पीएम मोदी ने कहा मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के रिश्तों की नई शुरुआत गुरुवार को हो रही है। पहले भारत-मध्य एशिया सम्मेलन के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिजस्तान, कजाखस्तान और तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपतियों के साथ बैठक हुई।

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वैश्विक कूटनीति के तेजी से बदल रहे समीकरणों को देखते हुए भारत के लिए इस बैठक की बहुत ज्यादा अहमियत है, लेकिन इसके साथ ही कई सारी चुनौतियां भी दिख रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के सभी मध्य एशियाई देशों के साथ गहरे संबंध हैं।

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कजाखस्तान भारत की ऊर्जा सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भागीदार बन गया है। मैं कजाखस्तान में हाल ही में हुई मौतों पर संवेदना व्यक्त करता हूं। क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए हम सभी की चिंताएं और उद्देश्य एक समान हैं।

अफगानिस्तान के घटनाक्रम से हम सभी चिंतित हैं। इस संदर्भ में हमारा आपसी सहयोग क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए और महत्वपूर्ण हो गया है। पीएम ने कहा कि आज के समिट के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं। पहला यह स्पष्ट करना कि भारत और मध्य एशिया का आपसी सहयोग क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए अनिवार्य है।

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