ट्रेन फूंकी, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर कितनी सजा?

गया :रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रदर्शनकारियों से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुंचाने की अपील की है. उन्होंने कहा, ‘ये उनकी अपनी संपत्ति है. वो अपनी खुद की संपत्ति को नुकसान क्यों पहुंचा रहे हैं?’ उन्होंने ये भी कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान होने पर अधिकारी उचित प्रक्रिया का पालन करेंगे.
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामलों में कार्रवाई बहुत ज्यादा नहीं हो पाती. उसकी एक वजह ये है कि ऐसे मामलों में आरोपी का पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है. क्योंकि आमतौर पर जब भी कोई हिंसक प्रदर्शन होता है जिसमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है, उसका कोई चेहरा नहीं होता है.
सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता बताते हैं कि अगर विरोधियों के ऊपर FIR दर्ज भी हो जाए तो व्यक्तिगत तौर पर सबूत जुटा पाना मुश्किल होता है. इसके अलावा ऐसे मामलों में आरोपी को सजा देना या जुर्माना लगाना भी काफी मुश्किल है.
विराग गुप्ता बताते हैं कि कुछ राज्यों ने भीड़ कि हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामलों में नए कानून बनाने की पहल की है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कानून है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान होने पर वसूली आरोपी से की जाएगी, लेकिन इस पर अमल करना बहुत मुश्किल है
उन्होंने ये भी कहा कि रेलवे ने प्रदर्शनकारियों को आजीवन रेलवे में नौकरी नहीं देने फैसला लिया है, लेकिन ये पहले से ही कानून है. उन्होंने बताया कि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज हो जाए तो उन्हें सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि 2020 में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर 4,524 मामले दर्ज किए गए थे. इनमें 6,009 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इनमें से 868 को ही दोषी साबित किया जा सका. आंकड़े बताते हैं कि 2020 के अंत तक सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के 22 हजार से ज्यादा मामले अदालतों में लंबित हैं.