सुप्रीम कोर्ट ने मांगा केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने मांगा केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब। राजनीतिक दल अक्सर कैश और मुफ्त उपहार का वादा करते हैं। राजनीतिक पार्टियों की तरफ से इस तरह के वादे किए जाने को लेकर रोक लगाए जाने की मांग की गई है।
इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से ऐसे राजनीतिक दलों का चुनाव चिन्ह जब्त करने और उनकी मान्यता रद करने की मांग की गई है।
इसको लेकर चार हफ्ते में जवाब
याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर चार हफ्ते में जवाब मांगा है। ये याचिका अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की है।
कैश और मुफ्त उपहार का वादा करने वाली राजनीतिक पार्टियों का चुनाव चिन्ह जब्त करने और उनकी मान्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को जारी किया नोटिस। चार सप्ताह में मांगा जवाब।
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याचिका में मांग की गई है कि उन राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद हो जिन्होंने सार्वजनिक धन से मुफ्त में चीजें वितरण करने का वादा किया था। अब चार हफ्ते के भीतर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को इस पर जवाब देना है।
पिछड़ों के खाते में आए 71 टिकट
सपा की 159 प्रत्याशियों की पहली सूची में 71 उम्मीदवार पिछड़ी जातियों से हैं। यानी सपा ने पिछड़ी जातियों पर दांव चलते हुए करीब 45 प्रतिशत टिकट देकर अपने एजेंडे को धार दी है। इस बार अति पिछड़ी जातियों को अधिक संख्या में टिकट दिए गए हैं। इस सूची में 18 यादव, सात कुर्मी व सात जाट बिरादरी को टिकट दिए गए हैं।
समाजवादी पार्टी गठबंधन की अब तक 194 सीटें घोषित हो चुकी हैं। इनमें सपा की 159, राष्ट्रीय लोकदल की 33, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के एक-एक प्रत्याशी शामिल हैं। वहीं, पहले चरण की 58 सीटों में 29 रालोद, 28 सपा व एक एनसीपी की सीट शामिल है।