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कैसे चलाई मछली ने कार?

पानी में अपना रास्ता ढूंढ लेने वाली मछलियां सड़क पर अगर कार चलाने लगें, तो ये वाकई आश्चर्य की बात होगी. हालांकि वैज्ञानिकों ने एक तकनीक का प्रयोग करके गोल्डफिश से कार भी ड्राइव करा ली है. उनके इस प्रयोग के पीछे मकसद जानवरों की समझ और पहचानने की क्षमता को जांचना था.

इस प्रयोग में मछली एक एक्वेरियम में बैठकर जिस भी दिशा में देखती थी या जिस तरफ तैरती थी, कार उसी तरफ चलने लगती थी. ये प्रयोग इज़रायल के बेन गुरियॉन यूनिवर्सिटी ( के वैज्ञानिकों ने किया और साबित कर दिया कि मछलियां विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी दिशा और टार्गेट तय कर सकती हैं. हालांकि ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी फिश ने ऑपरेटेड व्हीकल चलाया है.

दरअसल इज़राइल के वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक रोबोटिक कार बनाई. इस कार के ऊपर पानी के टैंक में एक गोल्ड फिश को रखा गया. मछली के मुंह की तरफ दिशा को समझने के लिए इसमें एक लाईडार भी इम्प्लांट किया गया, जिसे कंप्यूटर से जोड़ा गया था. लाईडार के ठीक नीचे एक कैमरा लगा था, जो मछली के मुंह की दिशा को समझकर उसके निर्देश कंप्यूटर को देता था. इस तरह जिधर भी मछली मुंह करती थी, रोबोटिक कार उसी दिखा में मुड़ जाती थी. स्टडी के मुताबिक इस तकनीक के प्रयोग से मछली ज़मीन, सूखी धरती जैसी किसी भी जगह पर कार ड्राइव कर सकती है. गुरियॉन यूनिवर्सिटी की इस स्टडी को बिहेवियरल ब्रेन रिसर्च जर्नलमें पब्लिश किया गया है.

इस स्टडी का मकसद सिर्फ इतना था कि वैज्ञानिक जीवों के नेविगेशन सिस्टम को समझना चाहते हैं. मछली के बाद वे किसी अन्य जीव पर भी इस प्रयोग को करेंगे. वैज्ञानिक अपनी स्टडी के ज़रिये जीवों के नेविगेशन, उनके खान-पान, पर्यावरण और प्रदूषण के साथ-साथ उनके सुरक्षित स्थान तक पहुंचने की भी प्रक्रिया समझ रहे हैं. इस प्रयोग में गोल्डफिश को उसके खाने को नेविगेट करने के लिए छोड़ा गया. वो दिशा बदलते हुए और कनफ्यूज़ होते हुए आखिरकार टारगेट तक पहुंच गई. उसे इस प्रक्रिया में 2 मिनट का वक्त लगा. कमरे के अलावा गोल्डफिश ने सड़क पर भी सही तरह से ड्राइविंग की.

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