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ये खास पेड़ दुर्लभ जड़ी-बूटियों के बीच पहाड़ी पर लगा

: मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सांची में स्थित सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन यूनिवर्सिटी कई मायनों में खास है. यह यूनिवर्सिटी करीब 100 एकड़ की पहाड़ी में फैली है. विश्वविद्यालय परिसर में ही आध्यात्मिक उद्यान, नवग्रह गार्डन एवं राशि गार्डन भी विकसित किए गए हैं. इसी यूनिवर्सिटी में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और विदिशा के बीच सलामतपुर की पहाड़ी पर लोहे की लगभग 15 फीट ऊंची जाली के अंदर देश का सबसे वीवीआईपी पेड़ ‘बोधि वृक्ष’ लगा हुआ है. बोधि वृक्ष की सुरक्षा में 24 घंटे चार गार्ड तैनात रहते हैं. हालांकि यहां पर तैनात गार्ड मौसम की विषम परिस्थिति, जलसंकट और विषैले जंतुलों के बीच इस पेड़ की सुरक्षा करते हैं.

देश के सबसे वीवीआईपी पेड़ ‘बोधि वृक्ष’ तक पहुंचने के लिए भोपाल-विदिशा हाईवे से पहाड़ी तक पक्की सड़क भी बनाई गई है. पूरी पहाड़ी को बौद्ध विश्वविद्यालय के लिए आवंटित किया गया है. पेड़ इतना अहम है कि हर 15 दिन में इसका मेडिकल चेकअप होता है. इस यूनिवर्सिटी के अकादमिक परिसर में तकरीबन 60 से अधिक किस्में के फूल लगे हैं. फूलों के अलावा यूनिवर्सिटी में औषधीय गार्डन भी डेवलप किया गया है.

वह बोधि वृक्ष श्रीलंका के अनुराधापुरम में लगाया था, जो आज भी मौजूद है. उसी पेेेड़ को सांची बौद्ध विश्वविद्यालय की जमीन पर लगाया गया है.
बोधि वृक्ष को 21 सितंबर, 2012 को श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे और भूटान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जिग्मी योजर थिंगले ने रोपा था. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. माना जाता है कि ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक ने अपने बेटे महेंद्र और बेटी संघमित्रा को बोधि वृक्ष की एक टहनी देकर बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए श्रीलंका भेजा था. उन्होंने वह बोधि वृक्ष श्रीलंका के अनुराधापुरम में लगाया था, जो आज भी मौजूद है. उसी पेेेड़ को सांची बौद्ध विश्वविद्यालय की जमीन पर लगाया गया है.

मौसमी प्रभाव और कीटों की जद में आने के कारण फरवरी 2020 में यह पेड़ बीमार पड़ गया था. पत्तियों में काले छेद होकर सूख रही थी और तने में कई छिद्रों से कीड़ों ने अंदर प्रवेश कर लिया था. बताया जाता है कि इंसानों की तरह इंजेक्शन औ ड्रिप लगाकर उपचार किया गया था.

यह पेड़ विश्व धरोहर सांची से 7 किमी दूर सलामतपुर के पास पहाड़ी पर लगा है. सांची नगर परिषद, पुलिस, राजस्व और उद्यानिकी विभाग लगातार इस पर नजर रखते हैं. इस पेड़ का एक पत्ता भी गिरता है तो प्रशासन टेंशन में आ जाता है.

इस यूनिवर्सिटी के परिसर में ऐसे पेड़ों को लगाया गया है जिनका अलग-अलग धर्म और दर्शन में जिक्र है. पीपल, बरगद और समी के पेड़ों की किस्मों के साथ-साथ पाम के वृक्ष, क्रिसमस ट्री, खजूर के वृक्ष इत्यादि पेड़ों की प्रजातियों को सांची विश्वविद्यालय में ही ग्राफ्ट कर तैयार किया गया है.

सांची विश्वविद्यालय की नर्सरी में कई विलुप्त हो रही पेड़, पौधों की प्रजातियों का संरक्षण जारी है. विश्वविद्यालय की नर्सरी में चिरौंजी, सफेद और पीले पलाश की प्रजातियों को भी प्लांट किया गया है. इसके अलावा बड़ी संख्या में हिचसीहाचन, नचहाज अलंकृत पौधे जैसे मोरपंखी, एकजोरा, बॉटल ब्रश, कचनार, चांदनी जैसे पौधे लगाए गए हैं.

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