शव को क्यों नहीं छोड़ा जाता अकेला?
नई दिल्ली: सनातन धर्म में मृतक के अंतिम संस्कार को लेकर कुछ खास नियमों का पालन किया जाता है. ये नियम अंतिम संस्कार करने, उसके बाद के 13 दिनों तक की रस्मों से तो जुड़े ही हैं. इसके अलावा शव को रखने को लेकर भी कई नियम बनाए गए हैं. आमतौर पर मृत्यु के कुछ देर बाद ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है. लेकिन कभी-कभी मृतक के बाहर रह रहे परिजनों-रिश्तेदारों के इंतजार में अंतिम संस्कार को कुछ देर के लिए रोकना पड़ता है.
वहीं जिन लोगों की शाम को या रात को मृत्यु होती है, उनके शव को भी कई बार पूरी रात रखा जाता है और अगले दिन अंतिम संस्कार किया जाता है. दरअसल, हिंदू धर्म में रात के समय अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है. इस दौरान शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता है. बल्कि परिजन, दोस्त-रिश्तेदार शव के पास बैठते हैं.
गरुड़ पुराण में मौत के हर पहलू को लेकर विस्तार से बताया गया है. इसमें यह भी बताया गया है कि मृत्यु के बाद शव को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए. इसके पीछे की वजह भी गरुड़ पुराण में बताई गई है. इसके मुताबिक रात के समय बुरी आत्माएं, प्रेत आदि सक्रिय रहते हैं. ऐसे में ये आत्माएं मृतक के शरीर में प्रवेश कर सकती हैं और पूरे परिवार के लिए मुसीबत की वजह बन सकती हैं. इसके अलावा मृतक की आत्मा भी अपने घर और शरीर के आसपास ही रहती है. जब वो अपने शरीर के पास अपने परिजनों को नहीं देखती है तो उसे कष्ट होता है. इसलिए शव को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए. तांत्रिक क्रियाएं भी रात में ही की जाती हैं, ऐसे में शव को अकेले छोड़ना मृत व्यक्ति की आत्मा को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है.
व्यक्ति की मौत के कुछ देर बाद ही शव डीकंपोज होने लगता है. इसके चलते उसके शरीर में कई तरह के कीटाणु पैदा हो जाते हैं. शव से बदबू आने लगती है. ऐसे में कीड़े-मकोड़े या चीटियां शव के पास आकर उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसी स्थिति से बचने के लिए भी परिजनों को शव के पास रहकर उसका ध्यान रखना चाहिए. साथ ही शव के चारों ओर खुशबूदार अगरबत्ती जला देना चाहिए. कुछ जगहों पर शव के पास चूने या अन्य चीजों से रेखा बना दी जाती है, ताकि शव कीड़े-मकोड़ों से सुरक्षित रहे.
पं सुभाष पाण्डेय