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हाई कॉलेस्ट्रॉरल के लक्षण पैरों में दिखें ऐसे

नई दिल्ली : बहुत अधिक कॉलेस्ट्रॉल ना सिर्फ सेहत के लिए कई समस्याएं बढ़ा सकता है बल्कि दिल के रोगों के बढ़ने से लेकर दिल का दौरा पड़ने, स्ट्रोक होने तक का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि आप कॉलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करें. लेकिन क्या आप जानते हैं बिना टेस्ट करवाए बढ़े हुए कॉलेस्ट्रॉल के बारे में आप अपने पैरों से जान सकते हैं. आइए जानें, वो कौन से संकेत हैं जो पैरों में दिख जाते हैं जब हाई हो जाता है कॉलेस्ट्रॉल.

कोलेस्ट्रॉल जब बढ़ता है तो सबसे खतरनाक बात ये है कि इसका कोई लक्षण तब तक नहीं दिखता जब तक कि यह खतरनाक स्तर तक नहीं पहुंच जाता. साथ ही डेली लाइफ को प्रभावित करना शुरू ना कर दे. इसको डायग्नोज और रोकथाम करने का एकमात्र तरीका नियमित ब्लड टेस्ट करवाना है. जब ब्लड में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है, तो यह आपके पैरों के एच्लीस टेंडन को प्रभावित करना शुरू कर देता है. इस कारण पैरों में स्टीफनेस आनी शुरू हो जाती है.

पैरों में दर्द
जब आपके पैरों की आर्टरीज बंद हो जाती हैं, तो आपके निचले हिस्से में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन युक्त ब्लड नहीं पहुंच पाता. यह आपके पैर को भारी और थका हुआ महसूस करा सकता है. हाई कोलेस्ट्रॉल के स्तर वाले अधिकांश लोग निचले अंगों में जलन दर्द की शिकायत करते हैं. पैर के किसी भी हिस्से जैसे जांघों या पिंडलियों में दर्द महसूस हो सकता है. दर्द मुख्य रूप से तब महसूस होता है जब व्यक्ति थोड़ी दूरी तक भी चलता है.

सोते समय तेज पैर में ऐंठन, हाई कोलेस्ट्रॉल के स्तर का एक और सामान्य लक्षण है जो निचले अंगों की आर्टरीज को नुकसान पहुंचाता है. अकड़न या ऐंठन ज्यादातर एड़ी, पैर के आगे के हिस्सेक या पैर की उंगलियों में महसूस होती है. रात में सोते समय हालत और खराब हो जाती है. ऐसी स्थिति में पैरों को बिस्तर से नीचे की ओर लटका दें, इससे राहत मिल सकती है.
ब्लड के प्रवाह में कमी से पैरों के नाखूनों और त्वचा का रंग भी बदल सकता है. यह मुख्य रूप से इसलिए है क्योंकि ब्लड ले जाने वाले पोषक तत्वों और ऑक्सीजन के प्रवाह में कमी के कारण कोशिकाओं को उचित पोषण नहीं मिलता. ऐसी स्थिति में त्वचा सफेद और टाइट हो सकती है और पैर का नाखून मोटा हो सकता है और धीरे-धीरे बढ़ सकता है.

ठंडे पैर
हाई कोलेस्ट्रॉल का स्तर आपके पैरों को ठंडा कर सकता है. इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें और अपने डॉक्टर से बात करें.

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