अफगान लड़कियां सीखती हैं कोड ‘अंडरग्राउंड’
लंदन/इस्लामाबाद. अफगानिस्तान के हेरात में घर में कैद ज़ैनब मुहम्मदी कोडिंग क्लास के बाद कैफेटेरिया में अपने दोस्तों के साथ घूमने के पुराने दिनों को याद करती हैं. अब वह हर दिन गुप्त तरीके से ऑनलाइन क्लास के लिए लॉग ऑन करती है. अगस्त में तालिबान द्वारा देश पर नियंत्रण स्थापित करने के बाद उसका स्कूल बंद हो गया, लेकिन इसने मुहम्मदी को सीखने से नहीं रोका.
अपनी पहचान को छिपाने के लिए छद्म नाम का इस्तेमाल करने का अनुरोध करते हुए मुहम्मदी ने कहा, ‘मेरे जैसी लड़कियों के लिए यहां खतरे ही खतरे हैं. अगर तालिबान को पता चलता है… तो वे मुझे कड़ी सजा दे सकते हैं. वे मुझे मौत के घाट भी उतार सकते हैं.’ 25 वर्षीय छात्रा ने एक वीडियो कॉल पर थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, ‘लेकिन मैंने आशा या अपनी आकांक्षाओं को नहीं खोया है. मैं पढ़ाई जारी रखने के लिए दृढ़ हूं.’
मुहम्मदी उन सैकड़ों अफगान लड़कियों और महिलाओं में से एक है, जो तालिबान द्वारा अपने स्कूलों को बंद करने के बावजूद – कुछ ऑनलाइन और अन्य छिपी हुई अस्थायी कक्षाओं में – सीख रही हैं. गौरतलब है कि अफगानिस्तान में तालिबान के 1996-2001 के शासन के दौरान लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया गया था और उनके काम करने और सार्वजनिक जीवन पर रोक लगा दी गई थी.
कोड टू इंस्पायर – अफगानिस्तान की पहली महिला कोडिंग अकादमी
अफगानिस्तान की पहली महिला कोडिंग अकादमी कोड टू इंस्पायर (सीटीआई) की सीईओ और संस्थापक फ़रेशतेह फ़ोरो ने एन्क्रिप्टेड वर्चुअल क्लासरूम बनाया, पाठ्यक्रम सामग्री ऑनलाइन अपलोड की और मुहम्मदी सहित अपने लगभग 100 छात्रों को लैपटॉप और इंटरनेट पैकेज मुहैया कराए. उन्होंने कहा, ‘आपको घर पर बंद किया जा सकता है, लेकिन बिना किसी झिझक के, भौगोलिक सीमाओं की चिंता किए बिना आभासी दुनिया (वर्चुअल वर्ल्ड) को जिएं. यही तकनीक की सुंदरता है.’
सितंबर में, तालिबान सरकार ने कहा कि बड़े लड़के सभी प्राथमिक आयु के बच्चों के साथ स्कूल फिर से शुरू कर सकते हैं, लेकिन 12 से 18 वर्ष की उम्र की बड़ी लड़कियों को तब तक घर में रहने के लिए कहा जब तक कि उन्हें स्कूल में वापस आने की इजाजत ना दी जाए. करीब 20 साल पहले अपने आखिरी शासन के दौरान लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगाने वाले तालिबान ने वादा किया है कि वह उन्हें स्कूल जाने देगा क्योंकि वह दुनिया को यह दिखाना चाहता है कि वह बदल गई है.
लड़कियों की शिक्षा को लेकर ‘एक रूपरेखा’ पर काम कर रहा है तालिबान इस महीने की शुरुआत में तालिबान से मुलाकात करने वाले संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार एक रूपरेखा पर काम कर रही है, जिसे साल के अंत तक प्रकाशित किया जाएगा. काबुल की यात्रा पर गए संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के उप कार्यकारी निदेशक उमर आब्दी ने बीते 15 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पत्रकारों को बताया कि अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से पांच प्रांतों – उत्तर पश्चिम में बल्ख, जौजजान और समंगान, उत्तर पूर्व में कुंदुज और दक्षिण पश्चिम में उरोजगान में पहले ही माध्यमिक स्कूलों में लड़कियों को पढ़ने की इजाजत है.
उन्होंने कहा कि तालिबान के शिक्षा मंत्री ने उन्हें बताया कि वे सभी लड़कियों को छठी कक्षा से आगे अपनी स्कूली शिक्षा जारी रखने की अनुमति देने के लिए ‘एक रूपरेखा’ पर काम कर रहे हैं, जिसे ‘एक से दो महीने के बीच’ जारी किया जाएगा.
यूनेस्को ने सितंबर माह में चेतावनी दी थी कि अफगानिस्तान में शासन की बागडोर तालिबान के हाथों में आने के बाद विशेषकर बालिकाओं और महिलाओं की शिक्षा तक पहुंच को लेकर खतरा पैदा हो गया है. यूनेस्को की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि 2001 में तालिबान के सत्ता से बेदखल होने पर बीते 20 वर्षों में छात्रों के स्कूल जाने की दर में कई गुणा वृद्धि हुई. अफगानिस्तान में महिलाओं की साक्षरता दर दोगुनी हो गई है.
यूनेस्को की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2001 में प्राथमिक विद्यालय में कोई छात्रा नहीं थी, जबकि 2018 में इनकी संख्या 25 लाख हो गई. अफगानिस्तान में प्राथमिक विद्यालयों में छात्राओं की संख्या अब 40 प्रतिशत है. विश्वविद्यालय जाने वालों की संख्या जो कि अब हजारों में है, में भी काफी उछाल आया. 2020 में लगभग 6% महिलाएं कॉलेज में शिक्षा प्राप्त कर रही थीं, जो 2011 में सिर्फ 1.8% थी.