राज्य

भारत-नेपाल सीमा पर 20 सालों में मदरसों-मस्जिदों की संख्या 4 गुना बढ़ीं

सिद्धार्थनगर. भारत और नेपाल की सीमा से सटे सिद्धार्थनगर जिले में पिछले 2 दशकों में मदरसे 4 गुना से अधिक बढ़ गए हैं. अधिकतर मदरसे भारत नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में खुले हैं. वर्तमान समय में सिद्धार्थनगर जिले में 597 मदरसे संचालित हैं, जिनमें 452 मदरसे पंजीकृत हैं और 145 मदरसों का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है. ऐसे मदरसों को लेकर खुफिया एजेंसियां अलर्ट हैं. बिना रिकॉर्ड वाले मदरसे कैसे चल रहे हैं, इनकी फंडिंग कहां से हो रही है, इस पर सुरक्षा एजेंसियों की नजर है. कुछ मदरसों की फंडिंग दुबई और खाड़ी के देशों से होने की आशंका जताई जा रही है. वर्ष 1990 तक जिले में कुल 16 मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित थे, वर्ष 2000 में इनकी संख्या बढ़कर 147 हो गई थी. इसमें मान्यता वाले मदरसों की संख्या 45 के करीब थी.

इसके बाद सिद्धार्थनगर में मदरसों की संख्या में लगातार वृद्धि जारी है. वर्तमान समय में अकेले 152 मदरसे डुमरियागंज तहसील में संचालित हैं. यहां के टिकरिया गांव में वर्ष 1978 में पहले मदरसे को मान्यता मिली थी. इटवा तहसील में 134 मदरसे हैं. क्षेत्र के भावपुर भदोखर में वर्ष 1963 में पहला मान्यता प्राप्त मदरसा खुला था. नौगढ़ तहसील में 119 मदरसे हैं, यहां पहला मदरसा वर्ष 1983 में शिवपति नगर में संचालित हुआ था.

शोहरतगढ़ में 102 मदरसे हैं. वही बांसी में मदरसों की संख्या सबसे कम 90 है, जिनमें से 16 मदरसों को सरकारी अनुदान मिल रहा है. इन मदरसों में तहनिया (प्राथमिक), फौकनिया (पूर्व प्रथमिक), मौलवी (हाईस्कूल), मुंशी (अरबी-फारसी में हाईस्कूल), आलिया (इंटरमीडिएट), कामिल (स्नातक) और फाजिल (परास्नातक) की पढ़ाई होती है.

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी तन्मय कुमार ने बताया कि, मदरसा कोई भी खोल सकता है. इस पर कोई रोक नहीं है. उन्हीं मदरसों को शासन स्तर से सहायता दी जाती है जो मान्यता प्राप्त होते हैं. एस‌एसबी 43वीं वाहिनी के डिप्टी कमांडेंट मनोज कुमार ने बताया की जिन मदरसों का कोई रिकॉर्ड नहीं है, उन पर नजर है. समय-समय पर जांच के बाद शासन को रिपोर्ट प्रेषित की जाती है. बिना मान्यता वाली मदरसों की फंडिंग और उनकी गतिविधियों पर एसएसबी की नजर है.

जिले में सबसे पहला मदरसा 4 अप्रैल 1961 को शोहरतगढ़ तहसील के सिसहनियां अलीदापुर गांव में खुला था. दूसरा मदरसा 7 जुलाई 1961 को बांसी तहसील की बरांव शरीफ गांव में खुला था. 13 अगस्त वर्ष 1963 को इटवा के भावपुर भदोखर में तीसरे मदरसे को मान्यता मिली थी.

नौगढ़ 119 बांसी 90 शोहरतगढ़ 102 इटवा 134 डुमरियागंज 152

जिले में लगातार बढ़ रहे मदरसों की संख्या को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह से सतर्क हैं. हालांकि जिन मदरसों का कोई रिकॉर्ड नहीं है, उन पर स्थानीय प्रशासन की भी नजर रहती है. सिद्धार्थनगर जिले की कुछ संवेदनशील स्थानों पर बने मदरसे सुरक्षा एजेंसी के माथे की लकीरों को जरूर उभार दिए हैं. ऐसे में जिन मदरसों का रिकॉर्ड नहीं है, उन सभी मदरसों के रिकॉर्ड खंगाले ले जा रहे हैं और उनके फंडिंग की भी जांच की जा रही है.

 

Show More

यह भी जरुर पढ़ें !

Back to top button