धर्म - अध्यात्म

पूजा में क्‍यों जलाई जाती हैं अगरबत्ती-धूपबत्ती?

नई दिल्‍ली: तकरीबन हर पूजा में अगरबत्ती और धूपबत्ती जरूर जलाई जाती हैं. फिर चाहे यह पूजा मंदिर में की जा रही हो या घर में. बिना अगरबत्ती-धूपबत्ती के पूजा अधूरी रहती है. यहां तक कि गृहप्रवेश, उद्घाटन जैसे शुभ कामों में भी अगरबत्ती-धूपबत्ती का उपयोग होता है. लोग पवित्र नदियों के दर्शन करते समय दीपदान करने के साथ-साथ अगरबत्ती लगाकर पूजा जरूर करते हैं. क्‍या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्‍यों किया जाता है.

अगरबत्ती-धूपबत्ती का उपयोग इनकी खुशबू के कारण किया जाता है. ताकि पूजा-पाठ के दौरान माहौल सुगंधित रहे. माहौल से नकारात्‍मकता खत्‍म हो और उसकी जगह सकारात्‍मकता आए. अगरबत्ती-धूपबत्ती से फैलती सुगंध मन को शांति देती है और बहुत अच्‍छा महसूस कराती है. इससे व्‍यक्ति के मन में भी पवित्रता और शांति आती है. इसी के चलते अगरबत्ती-धूपबत्ती बनाने में कई तरह की जड़ी बूटियों और फूलों से निकले अर्क का इस्‍तेमाल किया जाता है.

माहौल को ऐसी ही पवित्र सुगंध से सराबोर करने के लिए पूजा-आरती में कपूर भी जलाया जाता है. कपूर की सुगंध कई वास्‍तु दोषों को दूर कर देती है.
सबसे अहम बात यह है कि अगरबत्ती-धूपबत्ती जलाने से देवता प्रसन्‍न होते हैं. अलग-अलग देवी-देवताओं को अलग-अलग खुशबू प्रिय हैं, लिहाजा उन्‍हें वैसी खुशबू वाली अगरबत्ती या इत्र चढ़ाए जाते हैं. जैसे- लक्ष्‍मी जी को गुलाब की खुशबू और शंकर जी को केवड़े की खुशबू प्रिय है. इसलिए पूजा-अर्चना करते समय भगवान की प्रिय खुशबू वाली चीजें उपयोग करें, इससे भगवान जल्‍दी प्रसन्‍न होते हैं.

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