अंतराष्ट्रीय

संयुक्त राष्ट्र में तालिबान ने सुहैल शाहीन को नामित किया प्रतिनिधि

काबुल. अंतरराष्ट्रीय स्तर मान्यता पाने के लिए अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने एक और कोशिश की है. अफगान सरकार ने कतर में शांति वार्ता के दौरान तालिबान के प्रवक्ता रहे सुहैल शाहीन को संयुक्त राष्ट्र में राजदूत नामित किया है. इतना ही नहीं उसने संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलने की इजाजत भी मांगी है.तालिबान का फैसला उनके इस बयान के बाद सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि वह संयुक्त राष्ट्र में विश्व नेताओं को संबोधित करना चाहते हैं. उधर कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने विश्व नेताओं से आग्रह किया है कि तालिबान का बहिष्कार ना किया जाए.

अल थानी ने जोर देकर कहा, ‘तालिबान के साथ बातचीत जारी रखने की जरूरत है क्योंकि बहिष्कार से केवल ध्रुवीकरण होगा जबकि बातचीत से सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं.’ उन्होंने यह बयान उन राष्ट्राध्यक्षों की तरफ इशारा करते हुए दिया जो तालिबान से बातचीत करने में घबरा रहे हैं और अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता देने से कतरा रहे हैं.

समाचार एजेंसी रायटर्स के अनुसार तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को चिट्ठी भी लिखी. मुत्ताकी ने सोमवार को खत्म होने वाली महासभा की वार्षिक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान बोलने की मांग की. गुटेरेस के प्रवक्ता फरहान हक ने मुत्ताकी की चिट्ठी मिलने की पुष्टि की है.

बता दें अफगानिस्तान की ओर से गुलाम एम. इसाकजई को इसी साल जुलाई में संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि के तौर पर मंजूरी मिली थी. हालांकि अशरफ की गनी की सरकार को अपदस्थ कर तालिबानियों ने उस पर कब्जा कर लिया. तालिबान के विदेश मंत्री ने अपनी चिट्ठी में यह भी लिखा है कि इसाकजई का काम अब खत्म हो चुका है. अब वह अफगानिस्तान की अगुवाई नहीं करते हैं तो ऐसे में उन्हें हटाकर, तालिबान के प्रतिनिधि को जगह दी जाए.

वहीं गुटेरेस के प्रवक्ता हक ने कहा कि जब तक क्रेडेंशियल कमेटी इस पर कोई फैसला नहीं करेगी तब गुलाम ही अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करते रहेंगे. हक ने कहा कि अफगानिस्तान की संयुक्त राष्ट्र सीट के लिए मिले अनुरोध को नौ सदस्यीय क्रेडेंशियल समिति को भेजा गया था. इस समिति में अमेरिका, चीन और रूस शामिल सदस्य हैं. इस मुद्दे पर सोमवार से पहले समिति की बैठक होने की संभावना नहीं है, ऐसे में तालिबान के प्रतिनिधि का संयुक्त राष्ट्र के मंच से बोलना मुश्किल ही है. तालिबान के राजदूत की संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकृति अंतरराष्ट्रीय मान्यता की राह में एक महत्वपूर्ण कदम होगा. स्वीकृति मिलने से नकदी के संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान को काफी मदद मिलेगी.

 

Show More

यह भी जरुर पढ़ें !

Back to top button