पंजशीर घाटी की जंग में आतंकी संगठन अलकायदा को लिया साथ

काबुल:अफगानिस्तान के पंजशीर में प्रतिरोध मोर्चे ने दावा किया है कि आतंकवादी संगठन अलकायदा उनके खिलाफ लड़ाई में तालिबान के साथ मिल गया है। तालिबान और दुनिया के बेहद खूंखार आतंकी संगठन अलकायदा की सांठगांठ को लेकर यह दावा ऐसे समय पर किया गया है जब दुनियाभर में इस बात को लेकर आशंका जाहिर की जा रही है कि अफगानिस्तान में नए निजाम के तहत आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा।
अहमद मसूद की अगुआई वाले मोर्चे रिजिस्टन्स फोर्स ने ट्वीट किया, ”अल कायदा अफगान प्रतिरोध मोर्चे के खिलाफ लड़ने के लिए तालिबान में शामिल हुआ है। अमेरिका पीछे हट गया, इतिहास खुद को दोहराता है।” गौरतलब है कि अलकायदा ने ही अमेरिका पर 9/11 का हमला किया था, जिसके बाद अमेरिका ने इसे खत्म करने के लिए अफगानिस्तान में सेना भेजी थी। 20 साल में करीब 74 लाख करोड़ रुपए और हजारों सैनिकों की कुर्बानी के बाद अमेरिका अफगानिस्तान से चला गया है और अलकायदा एक बार फिर खुद को मजबूत करने में जुटा है।अलकायदा और तालिबान के बीच दोस्ती बढ़ने से भारत के लिए भी चिंता बढ़ सकती है।
पंजशीर में अपना बर्चस्व अब तक कायम रखने में सफल रिजिस्टन्स फोर्स ने कहा है कि तालिबान से बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है और वे अपना संघर्ष जारी रखेंगे। उन्होंने बुधवार को कहा कि वे तालिबान (रूस में प्रतिबंधित आतंकवादी समूह) से लड़ना जारी रखेंगे क्योंकि उनकी बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। मोर्चे ने एक बयान में कहा कि बातचीत विफल होने यह तय किया गया है पंजशीर और अन्य क्षेत्रों में तालिबान के साथ उनकी लड़ाई जारी रहेगी। मोर्चे के अनुसार तालिबान ने सरकार में एक या दो सीटों की पेशकश की है, लेकिन इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। पंजशीर राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चे का गढ़ है। दिवंगत पूर्व अफगान गुरिल्ला कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद और पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह इसकी की अगुआई कर रहे हैं।