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अदालत ने फेसबुक, व्हाट्सऐप की अर्जियों पर केंद्र से जवाब मांगा

 

नई दिल्ली । दिल्ली उच्च न्यायालय ने फेसबुक और व्हाट्सऐप की उन याचिकाओं पर शुक्रवार को केंद्र से जवाब मांगा जिसमें सोशल मीडिया मध्यवर्ती संस्थानों के लिए उन नये सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों को चुनौती दी गई है जिसके तहत मेसेजिंग ऐप के लिए यह पता लगाना जरूरी है कि किसी संदेश की शुरुआत किसने की। इन याचिकाओं के जरिये नये नियमों को इस आधार पर चुनौती दी है कि वे निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं और असंवैधानिक हैं। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने नोटिस जारी करके केंद्र को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के माध्यम से याचिका के साथ ही नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के लिए अर्जी पर भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले को 22 अक्टूबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। केंद्र के वकील ने मुख्य अधिवक्ता उपलब्ध नहीं होने के आधारपर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया जिसका वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने विरोध किया, जो क्रमशः व्हाट्सऐप और फेसबुक की ओर से पेश हुए थे। फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी, व्हाट्सऐप ने अपनी याचिका में कहा कि मध्यवर्ती संस्थानों के वास्ते सरकार या अदालत के आदेश पर भारत में किसी संदेश की शुरुआत करने वाले की पहचान करना की आवश्यकता ‘एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन’ और इसके लाभों को “जोखिम में” डालती है। व्हाट्सऐप एलएलसी ने उच्च न्यायालय से मध्यवर्ती संस्थानों के लिए नियमों के नियम 4 (2) को असंवैधानिक, आईटी अधिनियम का अधिकारातीत और अवैध घोषित करने का आग्रह किया है और अनुरोध किया है कि नियम 4 (2) के किसी भी कथित गैर-अनुपालन के लिए उस पर कोई आपराधिक दायित्व नहीं लगाया जाए जिसके तहत संदेश की शुरुआत करने वाले की पहचान करने की आवश्यकता है।

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