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तालिबानराज से अमेरिका को सताने लगा अलकायदा का भी डर

वॉशिंगटन:अमेरिका अफगानिस्तान से पल्ला झाड़कर भले ही भाग गया है, लेकिन अब उसे एक बार फिर वही खतरा महसूस होने लगा है जिसकी वजह से दो दशक पहले उसने यहां धावा बोला था। अमेरिका के टॉप जनरल ने कहा है कि तालिबानी कब्जे वाले अफगानिस्तान से उनके देश को एक बार फिर आतंकी खतरों का सामना करना पड़ सकता है। यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अनुमान से भी कहीं अधिक तेजी से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया है।

एक सप्ताह पहले ही अमेरिका की सेना ने आकलन किया था कि विद्रोही 30 दिनों में काबुल को घेर सकते हैं और 90 दिनों के भीतर इस पर कब्जा कर लेंगे। लेकिन रविवार को दुनिया ने चौंकाने वाले इन दृश्यों को काफी पहले देख लिया जब तालिबानी लड़ाके हथियारों के साथ राष्ट्रपति भवन में प्रवेश कर गए और अपना झंडा फहरा दिया। जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफा जनरल मार्क मिली ने रविवार को सीनेटर्स को एक ब्रीफिंग में कहा कि अमेरिकी अधिकारी अफगानिस्तान में आतंकवादी समूहों के पुनर्गठन की गति के बारे में अपने पहले के आकलन को बदल सकते हैं। एक मामले की जानकरी रखने वाले एक शख्स ने एपी को यह जानकारी दी।

जून में पेंटागन के टॉप अधिकारियों ने कहा था कि अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठनों का अफगानिस्तान में पुनर्जन्म हो सकता है और अमेरिकी सैनिकों की वापसी के दो साल के भीतर अमेरिकी जमीन पर इनसे खतरा हो सकता है। 2001 में अलकायदा ने अमेरिका में 9/11 की घटना को अंजाम दिया था, जिसे ना सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया में सबसे खौफनाक आतंकी वारदात माना जाता है। अलकायदा के आतंकवादियों ने विमानों को हाईजैक करके वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दोनों टावर से टकरा दिया था, जबकि एक विमान पेंटागन मुख्यालय पर गिरा था। इस हमले में 3 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद तालिबान को मिटाने के लिए अमेरिका ने अफगानिस्तान में अपने सैनिकों को भेजा था।

दो दशक बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद जानकारों का कहना है कि तालिबान और अल-कायदा फिर गठबंधन में रहेंगे और दूसरे हिंसक समूहों को भी सुरक्षित पनाहगाह मिल सकती है। इस ब्रीफिंग की जानकारी रखने वाले अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि बदलते हालात के बीच अधिकारियों का मानना है कि अलकायदा जैसे आतंकी संगठन उम्मीद से अधिक तेजी से अपना ताकत बढ़ा सकते हैं। इस ब्रीफिंग में मिली के अलावा विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन भी शामिल थे। इसमें कहा गया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियां बढ़ते खतरे के बीच नए टाइमलाइन पर काम कर रही हैं।

 

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