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लोग वैक्सीन लगवाने से हिचकिचा रहे हैं आखिर क्यों ?

नई दिल्ली: कोरोना वायरस से के संक्रमण से बचने के लिए सबसे कारगर उपाय वैक्सीनेशन हैं. दुनियाभर में तेजी से वैक्सीनेशन का काम चल रहा है ताकि संक्रमण को पूरी तरह से खत्म किया जा सके लेकिन अभी भी लोगों के मन में वैक्सीनेशन को लेकर बहुत तरह के सवाल हैं. अभी भी लोग के मन में टीका लगवाने को लेकर संकोच रहता है. कुछ अफवाहों के बाद कई लोग यह मानते हैं कि कोरोना के टीके से गंभीर परिणाम सामने आते हैं.
पोलैंड के व्रोकला में जगियेलोनियन यूनिवर्सिटी और एसडब्ल्यूपीएस यूनिवर्सिटी ऑफ सोशल साइंसेज एंड ह्यूमैनिटीज ने मिलकर कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में हिचकिचाहट को जानने के लिए एक अध्ययन किया. टीम ने कुल 492 लोगों का परीक्षण किया इसमें बहुत से लोगों ने वैक्सीन तो लगवाई लेकिन वह अपनी पहचान झुपाने की कोशिश की और कई लोगों ने वैक्सीनेशन का पूरी तरह से विरोध किया.
बहुत से ऐसे लोग मौजूद हैं जो उन नेताओं से सहमत है जो कोरोना के टीके का विरोध करते हैं. उनका मानना है कि ऐसे विरोधी नेताओं को डॉक्टरों से ज्यादा मालूम है. इसको जानने के लिए एक सम्मेलन का आयोजन किया गया था और वहां ऐसे लोगों को बुलाया गया जो वैक्सीनेशन के विरोध में अपना पक्ष रख रहे थे. मजे की बात यह थी कि जब विरोधियों से उनके विरोध का तर्क पूछा गया तो वह स्पष्टिकरण नहीं दे पाए.

कई लोग यह कह बात टाल गए कि उन्होंने कहीं पढ़ा था, किसी ने बताया था, अभी ठीक प्रकार से जानकारी प्राप्त होने का स्रोत नहीं याद आ रहा. लेकिन उन्होंने एलर्जी या फिर बच्चों के बीमार होने के लिए टीकों को ही जिम्मेदार ठहराया.

अध्ययन में यह सामने आया कि टीको के प्रति पहले से मौजूद नकारात्म रवैया लोगों के दृष्टिकोण को नकारात्मक बनाने भागीदारी निभा रहा है और इसी वजह से व्यक्ति नकारात्मक व्याख्या करने में जुटा है. परीक्षण में शामिल होने वालों में ज्यादातर लोगों कों टीकों के प्रभाव पर भरोसा था और उन्हें विश्वास है इस दिशा में ठीक प्रकार से शोध हो रहा है. टीम ने सुझाव दिया कि टीकों के प्रति लोगों के दृष्टिकोण को बदलने के लिए सकारात्मक बिंदुओं को मजबूत करने की जरूरत है.

 

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