main slideदिल्लीब्रेकिंग न्यूज़

भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी जिंदा थे, तालिबान ने पहचान के बाद की थी हत्या : रिपोर्ट

 

काबुल/नई दिल्ली । अमेरिका स्थित एक पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, पुलित्जर प्राइज विजेता फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी अफगानिस्तान में सेना और तालिबानी के बीच गोलीबारी में नहीं मारा गया था और न ही वह घटना आकस्मिक थी बल्कि तालिबान ने भारतीय पत्रकार की पहचान करने के बाद उसकी क्रूरता से हत्या की थी। अफगानिस्तान में काम के दौरान उनकी मौत हो गई थी। आपको बताते दें कि पत्रकार कंधार शहर के स्पिन बोल्डक जिले में अफगान सैनिकों और तालिबान के बीच चल रहे संघर्ष को कवर कर रहे थे। वाशिंगटन एक्जामिनर की रिपोर्ट के अनुसार, सिद्दीकी ने अफगान नेशनल आर्मी टीम के साथ स्पिन बोल डक क्षेत्र की यात्रा की ताकि पाकिस्तान के साथ लगने वाली सीमा के पार अफगान सैनिकों और तालिबान के बीच लड़ाई को कवर किया जा सके जब वे सीमा शुल्क चौकी के एक तिहाई मिलकर भीतर पहुंच गए तो तालिबानी हमले के कारण वह सैनिकों से अलग हो गए और तीन अफगान सैनिकों के साथ रहे। रिपोर्ट के अनुसार हमले के दौरान सिद्दीकी को चोट आई थी, जिसके बाद वह और उनकी टीम स्थानीय मस्जिद में गए जहां उन्हें प्राथमिक उपचार मिला। हालांकि जैसी यह खबर फैली की एक पत्रकार मस्जिद में है। तालिबान ने हमला कर दिया। स्थानीय जांच से पता चला कि तालिबान ने सिद्दीकी की मौजूदगी के कारण ही मस्जिद पर हमला किया था। रिपोर्ट के अनुसार सिद्दीकी तब जिंदा थे। तालिबान ने उसे पकड़ लिया और पहचान की पुष्टि की उसके बाद उन्हें और उनके साथ अन्य लोगों को भी मार डाला। कमांडर और उनकी टीम के अन्य सदस्य भी सिद्दीकी को बचाने की कोशिश में मारे गए। अमेरिकन इंटरप्राइजेज इंस्टिट्यूट के फेलो, लेखक माइकल रूबीन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एक व्यापक रूप से प्रसारित सार्वजनिक तस्वीर में सिद्दीकी के चेहरे को पहचानने योग्य दिखाया गया था। मैंने अन्य तस्वीर और सिद्दीकी के शरीर के एक वीडियो की समीक्षा की, जो मुझे भारत सरकार के एक सूत्र द्वारा प्रदान किया गया था। इसमें साफ दिखाया गया था कि तालिबान ने पत्रकार को सिर के चारों ओर बुरी तरह से पीटा और फिर उसके शरीर को गोलियों से छलनी कर दिया था। रिपोर्ट में कहा गया कि पत्रकार दानिश सिद्दीकी कि जिस तरह से निर्मम हत्या की गई यह दिखाता है कि तालिबान युद्ध के नियमों और वैश्विक समुदाय के व्यवहार को नियंत्रित करने वाले सम्मेलन का कितना सम्मान करता है। आपको बता दें कि सिद्दीकी ने रोहिंग्या संकट के कवरेज के लिए रॉयटर्स टीम की ओर से 2018 में पुलित्जर पुरस्कार जीता था। उन्होंने अफगानिस्तान संघर्ष, हांगकांग विरोध और एशिया, मध्य, पूर्व और यूरोप में अन्य प्रमुख घटनाओं को कवर किया था। सिद्दीकी को जामिया मिलिया इस्लामिया कब्रिस्तान में दफनाया गया था।

Show More

यह भी जरुर पढ़ें !

Back to top button