दिल्ली

दोहरी चुनौती से जूझ रहा है भारत,धीमा टीकाकरण

नई दिल्ली. देश में कोविड-19 महामारी को हराने के लिए की जा रही कोशिशों को झटका लगा है. दरअसल टीकाकरण की वर्तमान रफ्तार में बड़ी गिरावट देखी गई है और वो भी तब जबकि पिछले माह के पहले 20 दिनों तक की तुलना में 21 जून से शुरू हुई नई टीकाकरण नीति के तहत टीके की 50 प्रतिशत अधिक खुराक दी गई है. 21 जून से 10 जुलाई के बीच कुल 9,14,64,483 खुराकें दी गईं, जो 1 जून से 20 जून के बीच 20 दिनों में दी गई 6,09,06,766 लाख खुराक से 3,05,57,717 खुराक अधिक थीं. 20 दिनों में औसतन कोरोना वैक्सीन की 45,73,224 खुराक प्रतिदिन दी गई.
लेकिन जब हम टीकाकरण के पांच दिनों के औसत को देखते हैं, तो हमें इसमें लगभग लगातार गिरावट नजर आती है. 21 से 25 जून के बीच औसतन 65,44,685 खुराक प्रतिदिन के साथ कुल 3,27,23,427 खुराकें दी गईं. 21 जून को टीकाकरण के दौरान 86,16,373 खुराक दी गई जो कि देश में अब तक का सर्वोच्च दैनिक आंकड़ा है.

26 जून से 30 जून के बीच टीकाकरण की गति में 39 प्रतिशत की कमी आई. इस दौरान प्रतिदिन औसतन 39,67,189 खुराक के साथ 1,98,35,946 खुराकें दी गईं. 1 जुलाई से 5 जुलाई के बीच टीकाकरण की रफ्तार में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई जब हर रोज औसतन 42,23,019 खुराक के साथ कुल 2,11,15,099 खुराकें दी गईं, लेकिन 6 जुलाई से 10 जुलाई के बीच पिछले पांच दिनों में फिर से टीकाकरण की गति लगभग 16 प्रतिशत कम हो गई.

जब हम पहले पांच दिनों के कुल आंकड़ों की तुलना पिछले पांच दिनों से करते हैं, तो हमें 45.6 प्रतिशत की भारी गिरावट नजर आती है. जब R Value में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों को जोड़कर देखते हैं, तो, ऐसा लगता है हम अगले महीनों में आने वाले कठिन दिनों को देख रहे हैं.
आर-नंबरया रिप्रोडक्टिव नंबर या प्रभावी ट्रांसमिशन रेट यह बताता है कि कोरोना वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में कितनी तेजी से फैलता है. भारत में महामारी की शुरुआत के बाद से चेन्नई में गणितीय विज्ञान संस्थान से जुड़े सीताभ्रा सिन्हा के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा विश्लेषण किया गया कि महामारी समाप्त होने के लिएआर-नंबर एक से कम होनी चाहिए

सिन्हा ने कहा कि भारत का आर-नंबर 1 से नीचे 11 मई के आसपास 0.98 पर आया था और बाद में महामारी की शुरुआत के वक्त 9 मार्च से 11 अप्रैल के बीच 1.37 के शिखर से गिरकर 16 जून के आसपास सबसे निचले बिंदु 0.78 पर पहुंचा था.

लेकिन विभिन्न मीडिया रिपोर्टों द्वारा पुष्टि की गई कि लॉकडाउन में ढील और लगभग न के बराबर कोरोना संबंधी उपयुक्त व्यवहार की वजह सेआर-नंबर फिर से बढ़ने लगा है. सिन्हा के आंकड़ों के हवाले से द इंडियन एक्सप्रेस के विश्लेषण में कहा गया है कि 20 जून से 7 जुलाई के बीचआर-नंबर 0.78 से बढ़कर 0.88 हो गई है.

हालांकि आर-नंबर अभी भी 1 से नीचे है और यह जल्द ही इस निशान को पार कर सकता है क्योंकि देश को अगले महीने कोरोना की संभावित तीसरी लहर का डर है. एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त में कोरोना की तीसरी लहर के आने और कोविड-19 मामलों के सितंबर में चरम पर पहुंचने की उम्मीद है. एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि कोविड उपयुक्त व्यवहार की अनदेखी का सीधा मतलब है कि भारत 6 से 8 सप्ताह में कोरोना की तीसरी लहर देख सकता है.

कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए एकमात्र उपाय टीकाकरण ही है, लेकिन इसकी गति काफी धीमी हो गई है और 21 जून से शुरू टीकाकरण के नए चरण के आखिरी 20 दिनों में दैनिक टीकाकरण के औसत से अगस्त तक 46.81 करोड़ वयस्क या देश की कुल आबादी के 88.92 करोड़ लोग ऐसे होंगे जिन्हें टीका नहीं लगा होगा. भारत को इस साल के बाकी दिनों में 216 करोड़ टीके मिलने की उम्मीद है और इसका लक्ष्य अपनी पूरी वयस्क आबादी का टीकाकरण करना है, लेकिन टीके की थोक आपूर्ति केवल अगस्त या सितंबर महीने से ही शुरू होने की उम्मीद है.

टीकाकरण की धीमी गति ने राज्य सरकारों को केंद्र से यह अनुरोध करने के लिए मजबूर कर दिया कि वह फिर से देश में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया को अपने नियंत्रण में ले, जैसा कि पहले किया जा रहा था और यही प्रक्रिया फिर से 21 जून से शुरू की गई थी. इससे पहले, देश में मई से 20 जून के लिए एक विकेन्द्रीकृत टीका नीति का पालन किया था. इसके तहत राज्य और निजी अस्पताल 18 से 44 आयु वर्ग की आबादी के लिए टीकों की व्यवस्था करने की 50 प्रतिशत जिम्मेदारी साझा कर रहे थे, जबकि 45 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए केंद्र की ओर से मुफ्त टीके की व्यवस्था की गई थी.

 

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