कांग्रेस के विधायको की नाराजगी से सोरेन सरकार की बढ़ी बेचैनी

रांची. झारखंड में प्रेशर पॉलिटिक्स का खेल शुरू हो गया है. हेमंत सोरेन सरकार में शामिल मुख्य सहयोगी दल ने इसकी शुरुआत की है. बोर्ड-निगम के बंटवारे से लेकर 20 सूत्रीय गठन और सरकार के अंदर कांग्रेस विधायकों, नेताओं को तवज्जो देने को लेकर हल्ला बोला गया है. कांग्रेस की इस राजनीति और रणनीति को उसकी मजबूरी और उसकी अनदेखी के साथ जोड़ कर भी देखा जा रहा है.
झारखंड में कांग्रेस विधायकों की नाराजगी से शुरू हुई राजनीति अब सरकार के अंदर बेचैनी बढ़ा रही है. बाहर से भले ही कांग्रेस विधायकों की नाराजगी संगठन तक सीमित दिख रही हो, पर असल में ये कांग्रेस के रणनीति का बड़ा हिस्सा माना जा रहा है . अगर ऐसा नहीं होता तो नाराज विधायकों को आलमगीर आलम के आशियाने में जगह नहीं मिलती. राज्य में सत्ताधारी दल होने के बावजूद कांग्रेस विधायकों पर मुकदमा दर्ज होना, कई तरह के संकेत देता है. हालांकि कांग्रेस ने जिन मुद्दों पर खुद की सरकार पर हमला बोला है उसमें भी दम दिखता है .
कांग्रेस की ओर से जो मांग की जा रही है उसमें राज्य में बोर्ड – निगम के पद का बंटवारा, सूचना आयोग और महिला आयोग के अध्यक्ष जैसे पद रिक्त, 20 सूत्री और निगरानी समिति का गठन, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को विधानसभा में कांग्रेस विधायक की मान्यता, कांग्रेस विधायकों पर लगातार हो रहे मुकदमों से नाराजगी, जिला स्तर पर अधिकारियों के द्वारा कांग्रेस नेताओं की अनदेखी, 12 वें मंत्री पद पर कांग्रेस की दावेदारी प्रमुख हैं
राजनीति के अंदर खाने इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ मंत्री भी नाराज चल रहे हैं. हाल के घटनाक्रम के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा उचित आश्वासन दिए जाने के बावजूद उसके ठीक उलट करवाई की गई. रांची से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस के विधायक और नेता दौड़ लगा रहे हैं. सरकार के हर कदम की जानकारी दिल्ली आलाकमान को दी जा रही है. कांग्रेस के अंदर से भी जो मांग उठ रही है उसे पार्टी के नेता नजरअंदाज नहीं कर सकते. इसकी बड़ी वजह पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सरकार के अंदर उचित मान – सम्मान देने का वादा है. जो अब तक पूरा नहीं हो सका.
राज्य में हेमंत सोरेन सरकार गठन के डेढ़ साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. अब तक विकास के सवाल पर राज्य सरकार कोरोना का रोना रोती रही है. मगर अब कांग्रेस खुद की सरकार से काम चाहती है. वो चाहती है कि जनता से किया गया हर वादा समय पर पूरा हो, वरना जनता माफ नहीं करेगी.