main slideउत्तर प्रदेश
आज शाम हो सकता है एलान, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की CM कैंडिडेट होंगी शीला?
लखनऊ.राज बब्बर को यूपी कांग्रेस चीफ बनाने के बाद पार्टी आज सीएम कैंडिडेट भी अनाउंसमेंट कर सकती है। गुलाम नबी आजाद गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस कर शीला दीक्षित के नाम की घोषणा कर सकते हैं। इसे लेकर आजाद और राज बब्बर की दिल्ली में मीटिंग चल रही है। कहा जा रहा है कि प्रदेश के 11 फीसदी ब्राह्मणों को लुभाने के लिए शीला दीक्षित परफेक्ट चेहरा हैं।चौतरफा लड़ाई में शीला होंगी मुफीद…
– यूपी कांग्रेस के इलेक्शन स्ट्रैटजिस्ट प्रशांत किशोर 2017 विधानसभा चुनाव को चौतरफा लड़ाई में तब्दील करने की जुगत में हैं।
– यूपी की 403 विधानसभा सीट में प्रशांंत की कोशिश कम से कम 100 सीटों पर कांग्रेस को जीत दिलाने की है।
– ऐसे में सपा-बसपा और बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए शीला दीक्षित मुफीद साबित हो सकती हैं।
शीला का यूपी से है पुराना नाता
– बता दें, शीला दीक्षित पॉलिटिक्स में बड़ा नाम हैं और यूपी में उनकी राजनीतिक जमीन है।
– उनकी ससुराल यूपी के उन्नाव जिले में है। इसका लाभ उन्हें मिल सकता है।
– वह 1984 से लेकर 1989 तक यूपी के कन्नौज सीट से सांसद भी रही हैं। इस दौरान वो केंद्र सरकार में मंत्री भी रहीं।
– पार्टी का चेहरा बनने से पार्टी ब्राह्मण वोटों को अपनी तरफ कर सकती है।
– 1998 में कांग्रेस ने उन्हें पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और चुनाव हारने के बाद उन्हें प्रदेश कांग्रेस की बागडोर सौंप दी गई।
– 1998 के विधानसभा चुनाव से शीला दीक्षित ने जीत का जो सिलसिला शुरू किया वह 2008 तक जारी रहा।
– 2013 में आम आदमी पार्टी (AAP) की आंधी में कांग्रेस का यह किला ढह गया।
– 2013 में चुनाव हारने के बाद पार्टी ने उन्हें केरल का गवर्नर बना दिया था।
– 2014 में बीजेपी की सरकार केंंद्र में बनने के बाद शीला ने इस्तीफा दे दिया था।
ब्राह्मण कार्ड खेल रही है कांग्रेस?
– यूपी कांग्रेस के लिए स्ट्रैटजी तैयार कर रहे प्रशांंत किशोर ने हाईकमान को यूपी चुनाव में ब्राह्मण कार्ड खेलने की राय दी है।
– हालांकि, पार्टी नेता अभी इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार कर रहे हैं।
– दरअसल, प्रदेश में तीन दशक पहले तक ब्राह्मण वोट बैंक कांग्रेस का कैडर माना जाता था।
– इस कारण पार्टी का परफॉरमेंस भी चुनावों में अच्छा रहता था। जब से यह वोट बैंक बीजेपी से जुड़ा, तब से पार्टी की स्थिति खराब होती गई।
– यूपी में दलित वोट बैंक बसपा के माने जाते हैं। इसके अलावा कई छोटी पार्टियों का भी जातिगत आधार पर अच्छा जनाधार है।
– बीजेपी भी दलित कार्ड खेलना चाहती है, इसलिए कांग्रेस उसके तोड़ के रूप में ब्राह्मण चेहरा लाना चाहती है।
– यूपी में ब्राह्मण वोट बैंक अच्छा खासा है। अगर यह पार्टी के पास लौट आया तो सीटों की संख्या बदलने में आसानी होगी।
कांग्रेस के यूपी प्रेसिडेंट बने हैं राज बब्बर
– बीते 12 जुलाई को राज बब्बर को यूपी कांग्रेस का नया चीफ बनाया गया था।
– उनकी टीम में इमरान मसूद, राजाराम पाल, भगवान प्रसाद चौधरी और राजेश मिश्रा को वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया।
– बब्बर लंबे समय से पार्टी से जुड़े हैं और अभी राज्यसभा सांसद हैं।
– इसके अलावा वे दो बार यूपी से लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं।
– उन्होंने 2009 में हुए लोकसभा उप-चुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हराया था।
– ऐसे में राज बब्बर के कद पर पार्टी में किसी को कोई संदेह नहीं था।