दिल्ली

प्रदूषित जगह अधिक घातक रहा कोरोना, क्या है प्रदूषण का कोरोना कनेक्शन?

नई दिल्ली :देश में अधिक प्रदूषण वाले इलाकों में कोरोना अधिक संक्रामक और जानलेवा साबित हुआ। मतलब खराब वायु गुणवत्ता और ज्यादा पीएम-2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) उत्सर्जन करने वाले क्षेत्रों में संक्रमण और इससे संबंधित मौतों की संभावना अधिक रही। देशव्यापी अध्ययन में यह दावा किया गया है। सभी राज्यों में सांख्यिकीय विश्लेषण के दौरान कोविड-19 और पीएम 2.5 के बीच संबंध स्थापित किया गया। इसमें पीएम 2.5 की सांद्रता और कोरोना से मौत के बीच सीधा संबंध (कोरिलेशन 0.61) मिला है।

स्टैब्लिशिंग ए लिंक विटविन फाइन पार्टिकुलेट मैटर (पीएम-2.5) जोन एंड कोविड-19 ओवर इंडिया नामक शीर्षक से अध्ययन को जर्नल अर्बन क्लाइमेट में 10 जून को प्रकाशित किया गया था। अध्ययन में देश के चार संस्थानों भुनेश्वर स्थित उत्कल यूनिवर्सिटी, पुणे स्थित आईआईटीएम, राउरकेला स्थित एनआईटी और आईआईटी-भुवनेश्वर ने हिस्सा लिया। इसको आंशिक रूप से भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया गया था। अध्ययन के लिए 36 राज्यों से 16 जिलों को चुना गया था, जिनमें मुंबई और पुणे शामिल हैं

अध्ययन के प्रमुख और उत्कल विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर सरोज कुमार साहू ने कहा कि हमने यह देखने के लिए सांख्यिकीय विश्लेषण किया कि क्या जिला स्तर के प्रदूषण डेटा और कोविड-19 मामलों के बीच कोई संबंध है। हालांकि यूरोप में दो डेटा सेटों के बीच संबंध खोजने के लिए कुछ अध्ययन किए हैं, लेकिन देश में इससे पहले कोई अध्ययन नहीं किया गया। इस दौरान हमने अध्ययन में पाया कि जिला स्तर के प्रदूषण और कोविड-19 मामलों के बीच सीधा संबंध है। इसके साथ ही परिवहन और औद्योगिक गतिविधियों में भारी मात्रा में जीवाश्म ईंधन जैसे पेट्रोल, डीजल और कोयला आदि के इस्तेमाल वाले क्षेत्रों में कोरोना के अधिक मामले दिखे।

 

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