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19 जुलाई को होगा अनाउंसमेंट, यूपी चुनाव में ये नया फ्रंट बिगाड़ेगा बड़े दलों का खेल
लखनऊ. यूपी में 2017 असेंबली इलेक्शन को लेकर छोटे मुस्लिम संगठन आपस में मिलकर नया फ्रंट तैयार करने जा रहे हैं। इस फ्रंट में मुस्लिम आवाम की पैरवी करने वाले सभी छोटे-छोटे दलों को शामिल किया जाएगा। इसमें वो दल भी होंगे, जिनका प्रभाव अपने क्षेत्र तक सीमित है। 19 जुलाई को राजधानी में बैठक कर नए फ्रंट का अनाउंसमेंट किया जाएगा।
सपा, बसपा, बीजेपी, कांग्रेस से होगा मुकाबला?
– इस फ्रंट के पीछे मुस्लिम संगठनों के नेताओं का तर्क है कि इसके जरिए मुस्लिम मतों के बीच बिखराव को रोकने की कोशिश की जाएगी।
– यह फ्रंट आने वाले समय में सपा, बसपा, बीजेपी और कांग्रेस के ऑप्शन के तौर पर अपना विस्तार करेगा।
– यह फ्रंट आने वाले समय में सपा, बसपा, बीजेपी और कांग्रेस के ऑप्शन के तौर पर अपना विस्तार करेगा।
नए फ्रंट में ये दल होंगे शामिल
– पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. अय्यूब ने बताया कि सभी मुस्लिम संगठन को एकजुट कर चुनाव में मजबूती से उतरने की कोशिश की जा रही है।
– अभी तक सपा, बसपा, कांग्रेस ने मुस्लिम मतों का जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल ही किया है।
– किसी भी दल ने मुस्लिम वर्ग की तरक्की के लिए कोई काम नहीं किया है।
– बीजेपी के भी 2 साल के कार्यकाल को जनता देख चुकी है। बीजेपी से उम्मीद नहीं की जा सकती है।
– अभी तक सपा, बसपा, कांग्रेस ने मुस्लिम मतों का जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल ही किया है।
– किसी भी दल ने मुस्लिम वर्ग की तरक्की के लिए कोई काम नहीं किया है।
– बीजेपी के भी 2 साल के कार्यकाल को जनता देख चुकी है। बीजेपी से उम्मीद नहीं की जा सकती है।
19 जुलाई को अनाउंस होगा नया फ्रंट
– डॉ. अय्यूब के मुताबिक, पीस पार्टी और मौलाना रिशादी की राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने अभी 6 पार्टियों का गठबंधन अभी बनाया हुआ है।
– इसमें वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, मुस्लिम महाज, इंडियन मुस्लिम लीग, परचम पार्टी और मुस्लिम मजलिस शामिल हैं।
– इसके अलावा अन्य दलों से कॉन्टैक्ट किया जा रहा है। इसमें एमआईएम से भी बात चल रही है।
– 19 जुलाई को राजधानी में बैठक कर यूपी की पॉलिटिक्स में ऑप्शन के तौर पर एक नया फ्रंट अनाउंस किया जाएगा।
– इसमें वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, मुस्लिम महाज, इंडियन मुस्लिम लीग, परचम पार्टी और मुस्लिम मजलिस शामिल हैं।
– इसके अलावा अन्य दलों से कॉन्टैक्ट किया जा रहा है। इसमें एमआईएम से भी बात चल रही है।
– 19 जुलाई को राजधानी में बैठक कर यूपी की पॉलिटिक्स में ऑप्शन के तौर पर एक नया फ्रंट अनाउंस किया जाएगा।
सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए होगी चुनौती
– माना जा रहा है कि मुस्लिम संगठन के एकजुट होने से सबसे ज्यादा नुकसान सपा, बसपा और फिर कांग्रेस को होने वाला है।
– अभी तक सपा का बेस वोट यादव और मुस्लिम ही रहा है। पार्टी के पास आजम खान जैसा कद्दावर चेहरा भी है।
– लेकिन पार्टी चुनाव में कितना असर मुस्लिम वोटों पर छोड़ पाएगी, इसका अंदाजा लगाना अभी मुश्किल है।
– वहीं, जिस तरह से बसपा दलित-मुस्लिम समीकरण को लेकर चल रही है, उसमें ये नया फ्रंट पार्टी को कमजोर कर सकता है।
– उधर, कांग्रेस ने मुस्लिम मतों को एकजुट करने के लिए भले ही गुलाम नबी आजाद को भेज दिया है, लेकिन इस ऑप्शन के आगे कांग्रेस के स्टैंड करने में आशंका बनी है।
– अभी तक सपा का बेस वोट यादव और मुस्लिम ही रहा है। पार्टी के पास आजम खान जैसा कद्दावर चेहरा भी है।
– लेकिन पार्टी चुनाव में कितना असर मुस्लिम वोटों पर छोड़ पाएगी, इसका अंदाजा लगाना अभी मुश्किल है।
– वहीं, जिस तरह से बसपा दलित-मुस्लिम समीकरण को लेकर चल रही है, उसमें ये नया फ्रंट पार्टी को कमजोर कर सकता है।
– उधर, कांग्रेस ने मुस्लिम मतों को एकजुट करने के लिए भले ही गुलाम नबी आजाद को भेज दिया है, लेकिन इस ऑप्शन के आगे कांग्रेस के स्टैंड करने में आशंका बनी है।
21 जिलों में करीब 19 फीसदी हैं मुस्लिम वोटर्स
– प्रदेश में मुस्लिम आबादी पर गौर करें तो 21 जिलों में मुस्लिम वोटर्स की संख्या 19 फीसदी तक है।
– इनकी सबसे ज्यादा संख्या रामपुर में करीब 50.57 फीसदी से ऊपर है।
– रामपुर के बाद मुरादाबाद, बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, ज्योतिबा फुले नगर और बलरामपुर में इनकी आबादी 37 से 47 फीसदी तक है।
– इसके अलावा मेरठ, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बागपत, गाजियाबाद, पीलीभीत, संतकबीरनगर, बाराबंकी, बुलंदशहर, बदायू और लखनऊ में भी काफी मुस्लिम वोटर्स हैं।
– इनकी सबसे ज्यादा संख्या रामपुर में करीब 50.57 फीसदी से ऊपर है।
– रामपुर के बाद मुरादाबाद, बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, ज्योतिबा फुले नगर और बलरामपुर में इनकी आबादी 37 से 47 फीसदी तक है।
– इसके अलावा मेरठ, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बागपत, गाजियाबाद, पीलीभीत, संतकबीरनगर, बाराबंकी, बुलंदशहर, बदायू और लखनऊ में भी काफी मुस्लिम वोटर्स हैं।